डोर धड़कन से बंधी | Part 71 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 71 | Hindi Romantic Story

सोचते हुए शिवाय की आंख नम हो गई। वह जल्दी से कॉफी का मग अपने होंठों से लगा लेते हैं। 

शायद वह अपने आंसुओं को भी उन चाय के घोंटों के साथ अपने अंदर उतार लेना चाहते थे। 

क्योंकि अगर उन आंसुओं को श्लोका देख लेगी तो उसे बहुत तकलीफ होगी। और वह श्लोका को अब और तकलीफ नहीं देना चाहते थे।

♥️

क्या हुआ इतना उदास क्यों हो? आरव पूजा को देख कर पूछता है।

वह हर मुमकिन कोशिश कर रहा था कि पूजा खुश रहे। लेकिन वह पूरी तरह कामयाब नही हो रहा था। 

होता भी कैसे आखिर वह पूजा के मौम डैड थे। और अपने मौम डैड से अचानक जुदा हो जाना इतना आसान तो नहीं था।

आरव मुझे माफ कर दें…मेरी वजह से आप परेशान रहते हैं। मैं खुश रहने की कोशिश करती हूं मगर फिर जैसे ही मौम-डैड की याद आती है मैं उनके लिए परेशान हो जाता हूं।

पूजा कहते हुए एक बार फिर रो पड़ती है।

मैं समझ सकता हूं कि तुम पर क्या बीत रही है। तुम्हें दिखावे की खुशी दिखाने की ज़रूरत है। तुम बिल्कुल नार्मल रहो। कहते ही आरव उसे गले से लगा लेता है।

आरव के गले लगते ही पूजा फूट-फूट कर रो पड़ती है। आरव चुपचाप उसे रोने देता है। क्योंकि उसका रोना बहुत ज़रूरी था। अगर वह अब नहीं रोएगी तो बीमार हो सकती थी। और वह उसे हर तकलीफ से बचाना चाहता था।

देर तक रोने के बाद जब उस मन हल्का हो गया। तो वह शांत हो गई। आरव खामोशी से उसे लिटा कर उसके पास कोहनी के सहारे थोड़ा झुक जाता है।

एक बात पूछूं? आरव उसे देखता है 

हूं…वह उसे देखती है जो हर तरह से उसे खुश करने के जतन करता रहता है।

कभी तुम को मुझे देख कर यह नहीं लगा कि मैं कितना हैंडसम और डैशिंग हूं। काश इससे मेरी शादी हो जाए।

आरव बहुत ही सीरियस होकर पूछता है। जब कि यह बात वह उसे खुश करने के लिए कह रहा था ताकि वह अपने दुख से बाहर आ सके।

लेकिन जैसे ही उसकी बात खत्म होती है पूजा हंस पड़ती है। आप और हैंडसम?…

क्या मैं हैंडसम नहीं हूं? पूजा के जवाब से वह दुखी हो गया। 

हां, आप हैंडसम नहीं…पूजा रुकी आरव का चेहरा देख कर उसे एक बार फिर हंसी आ गई।

और आरव मासूम बना उसे हंसते हुए देखता रहा। 

आप हैंडसम नहीं बल्कि बहुत ज़्यादा हैंडसम हैं मेरी जान…पूजा उसके गले में बाहें डाल देती है।

और आरव उसके तो खुशी का ठिकाना ही नहीं था उसके अंदाज़ पर।

फिर कभी मुझ से कहा क्यों नहीं? आरव ने शिकवा किया।

यह सच है आप मुझे अच्छे लगते थे, लेकिन…वह रुकी।

लेकिन क्या…आरव बेचैन हुआ।

लेकिन कभी यह नहीं सोचा कि आप से शादी करूं। वह सच कहती है। लेकिन…वह फिर रूकी।

अब फिर लेकिन…आरव मुस्कुरा दिया।

मुझे आप का अंदाज़ पसंद था, आप बिल्कुल डैड के जैसे लगते मुझे। मैंने आपको नहीं चाहा लेकिन… वह फिर रूकी।

लेकिन…आरव बहुत ज़ोर से हंसा।

लेकिन मैं चाहती थी कि मेरा हस्बैंड बिल्कुल मेरे डैड जैसा हो। पूजा कहकर बहुत प्यार से आरव को देखती है।

और आरव… वह पूजा की प्यार भरी नज़रों को अपना प्यार भरा नज़राना देता है। उसके होंठ उस प्यार भरे एहसास को चुन लेते हैं जो पूजा की आंखों में थे।

मुहब्बत में तुम्हारे डैड भले ही मेरे उस्ताद हों, लेकिन यह मत भूलो कि मैं भी उन्हीं का चेला हूं। आरव कहते ही एक बार फिर उस पर झुका था। 

उनकी ज़िंदगी का सफर बहुत सुकून और मुहब्बत से आगे बढ़ रहा था। 

वह एक दूसरे को जानते ज़रूर थे। मगर अब वह एक दूसरे को पहचान रहे थे। और इस पहचान के सफर में उन्हें कोई जल्दी नहीं थी एक दूसरे को पहचानने की… वह दोनों तो अपने मुहब्बत से खुद ही एक दूसरे के दिल में जगह बना रहे थे।

आरव अपने प्यार से पूजा के दुख को कम करने की कोशिश में कामयाब हो गया था। वह बहुत मुहब्बत से उसके सिर को सहला रहा था। पूजा सो चुकी थी लेकिन आरव की आंखों से नींद गायब थी।

उसकी नज़र पूजा पर थी, मगर उसका मन कहीं और था।

मैं जानता हूं पूजा कि तुम मौम डैड को बहुत मिस कर रही हो। लेकिन फिर भी मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर पा रहा। लेकिन मैं अपने प्यार से तुम्हें सुकून तो दे ही सकता हूं।

मैं जानता हूं अगर मौम-डैड होते तो हमारा यह सफर और भी खूबसूरत होता। लेकिन कोई बात नहीं मैंने तुम से प्यार किया है। और अपने प्यार को मैं हमेशा तुम पर लुटाता रहूंगा।

पूजा कसमसाई…आरव ख्यालों की दुनिया से वापस आ गया। वह जल्दी से लेट गया। उसकी कोहनी दर्द करने लगी थी। कितनी देर से वह वैसे ही कोहनी पर ज़ोर देकर तिरछा लेटा हुआ था।

वह लेटते ही हाथ फैला देता है। और रीलैक्स होता है। तभी पूजा करवट होकर उसके हाथ पर सिर रख देती है। जिसे आरव तुरंत अपनी बाहों में भर लेता है। और उसके माथे पर बहुत प्यार से प्यार करता है।

पूजा के होंठों पर मुस्कान थी शायद वह कोई खूबसूरत ख्वाब देख रही थी। जिसमें वह थी और आरव थे। और उनका प्यार था।

उसके चेहरे की मुस्कान देख कर आरव भी मुस्कुरा देता है। वह लाइट बंद करके सुकून से आंख बन्द कर लेता है। 

नींद भले ही उसकी आंखों में नहीं थी। मगर ख्वाब एक के बाद हज़ारों उसकी आंखों में थे।

♥️

सुबह नाश्ते के बाद ही हाजी साहेब का बोलना शुरू हो गया था। वह बहुत गुस्से में लग रहे थे। और असमा की धीमी-धीमी आवाज़ें आ रहीं थीं। जो अंदर बैठे शिवाय और श्लोका को समझ नहीं आ रही थी।

मैं कहता हूं अगर इसे इसी तरह और छूट दी गई तो यह उसके लिए अच्छा नहीं होगा। कम से कम थोड़ी देर दुकान पर रहता तो था लेकिन अब वह भी नहीं। 

आने दो आज …फैसला हो कर रहेगा। 

हाजी साहेब गुस्से से कहते हैं।

क्या हो गया? इतनी गुस्सा किस लिए?

जब सुनते-सुनते शिवाय से बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह बाहर निकल कर पूछ ही लेते हैं।

कुछ नहीं मियां…तुम अपने काम से काम रखो। हाजी साहेब नाराज़ हुए।

मैंने पूछा बात क्या है? इस बार शिवाय ने इतना सख्ती से पूछा कि हर कोई हैरानी से उन्हें देखने लगा।

राहिल सुबह-सुबह कहीं गया है यह बोल कर के कि एक हफ्ता वह दुकान नहीं जायेगा। हाजी साहेब नाराज़गी से कहते हैं।

उसे कोई काम होगा तभी तो उस ने कहा होगा, वरना वह दुकान जाता था ना? शिवाय अपनी बात कहकर हाजी साहेब से पूछते हैं।

जाता था से क्या मतलब है…उसे यह काम देखना ही है। एक बार मुझे दूसरी दुकान मिल जाए फिर मैं उसे ज़िम्मेदारी देकर इत्मीनान से मर सकूंगा। हाजी साहेब उदासी से कहते हैं। उन के दुख उन के चेहरे पर साफ नज़र आ रहे थे।

आप फिक्र ना करें, यह बच्चे बहुत आगे जायेंगे। आप अपनी आंखों से इनकी कामयाबी देखेंगे। शिवाय मुस्कुरा कर कहते हैं।

और रही दुकान जाने की बात…तो जब तक राहिल दुकान नहीं जाता, तब तक उसकी जगह दुकान मैं चलूंगा। शिवाय अपनी बात कह कर सब को देखते हैं।

आता है काम? हाजी साहेब जांचती नज़रों से उन्हें देखते हैं।

आप लोग हैं ना सिखा देंगे। शिवाय उनके और ताहिर की तरफ इशारा करते हैं।

उनकी बात पर ताहिर मुस्कुरा देता है। 

और हाजी साहेब उठ कर खामोशी से अंदर चले जाते हैं।

चलें…शिवाय की नज़र ताहिर पर उठती है।

जी, वह जल्दी से उठ खड़ा होता है। असमा के होंठों पर मुस्कान आ जाती है। और शाइस्ता और सबा हैरानी से सब को देखते हैं। 

ताहिर वहां पर रखी चाबी उठा कर जल्दी से शिवाय के साथ बाहर निकल जाता है।

और अन्दर बैठी श्लोका सुकून की सांस लेती है।

दुकान पर जाते ही ताहिर सारी बातें शिवाय को समझा देता है। जिसे शिवाय बहुत जल्दी समझ जाते हैं।

शिवाय ताहिर से उसके बारे में बात करने लगते हैं। क्योंकि इस तरह अकेले में यह ताहिर से उन की पहली बातचीत थी। वरना घर में सामना तो हो ही जाता था।

थोड़ी देर में हाजी साहेब आते हैं और खामोशी से बैठ जाते हैं। 

उसी वक्त एक लड़की आती है और ज़्यादा हाई हील दिखाने की फरमाइश करती है। जब कि उसकी हाइट बहुत ज़्यादा कम थी।

शिवाय ताहिर को इशारा कहते हैं कि वह डील करते हैं। ताहिर हील वाली चप्पल निकाल कर शिवाय के आगे करते जाते हैं। जिसे शिवाय उस लड़की को दिखाते जाते हैं। 

लेकिन उसे कोई पसंद नहीं आ रही थी। हर बार वह शीशा देखती। और फिर और ज़्यादा हील वाली सैंडल दिखाने की फरमाइश करती।

एक बात कहूं मैम? अगर आप बुरा ना मानें…शिवाय एक सिम्पल सा सूज़ हाथ में लेकर उससे पूछते हैं।

अपने कद को इन हीलों से नहीं, बल्कि अपनी काबिलियत से ऊंचा करें। शिवाय बहुत सुकून से कहते हैं। जबकि हाजी साहेब और ताहिर हैरानी से उन्हें देखते हैं।

क्या मतलब आप का? अपनी औकात में रहें…जैसी चप्पल कह रही हूं दिखाएं। वरना और भी दुकान है। वह नाराज़गी से कहकर उठ खड़ी होती है।

आप चप्पल भले ही कहीं और से ले लें। लेकिन मेरी बात याद रखना। यह हाइड, रंग-रूप, गोरा-काला, लम्बा-नाटा यह सब तो कुदरत के बनाए हुए हैं। हमें तो उन चीज़ों पर ध्यान देना चाहिए जो हम कर सकते हैं। 

आप को क्या लगता है इन हील से आप अपने छोटे वजूद को कोई पहचान नहीं दे सकती हैं? बिल्कुल नहीं…

कहते ही शिवाय एक पल के लिए खामोश होते हैं। और फिर बोलना शुरू करते हैं।

लेकिन अगर आप अपनी शिक्षा से कोई मुकाम हासिल कर लेती हैं। तो वह आप की शान होगी। 

खुद को इस एहसास से बाहर निकालें। और अपने कैरियर पर ध्यान दें। घर जाकर मेरी बातों पर गौर करना। और गूगल पर ऐसे लोगों को सर्च करना जो आप जैसे हैं और बहुत कामयाब है। 

आज दुनिया उनके कद से नहीं, बल्कि उनकी कामयाबी से उन्हें जानती है। 

मेरी मानिए और यह सूज़ ले जाएं। जिसे पहन कर चलने में आप को कोई दिक्कत नहीं होगी। और आप का ध्यान अपने कद से हट कर आप के लक्ष्य पर होगा।

और मुझे लगता है अगर आप ऐसा सोचती हैं तो एक दिन ज़रूर कामयाब होंगी।

अपनी बात कह कर शिवाय खामोश हो जाते हैं। वह लड़की गुस्से से शिवाय को देखती है और दुकान से बाहर चली जाती है। 

उनको बातें करते हुए कुछ कस्टमर और भी आ जाते हैं। जिनको ताहिर चप्पल दिखा रहा था। लेकिन उन ग्राहकों का ध्यान चप्पलों में कम शिवाय की बातों में ज़्यादा था। 

शिवाय ने देख लिया था कि हाजी साहेब बहुत गुस्से में थे। लेकिन वह उनके गुस्से को नज़रंदाज़ कर गए।

शिवाय के साथ ज़िन्दगी का तजुर्बा था। 

यह सच था कि उन्हें दौलत की कभी कमी नहीं रही। लेकिन उन के अंदर दुनिया की समझ थी। 

हज़ारों इंटरव्यू लिये थे उन्होंने। हमेशा अलग-अलग लोगों से मिले थे। उनकी आफिस में काम करने का हर बंदा उनका दिवाना था। 

क्योंकि वह सिर्फ एक बॉस नहीं बल्कि एक काउंसलर भी थे। जो अपने आसपास के लोगों को हमेशा सही राह दिखाते रहे थे।

जारी है…

डोर धड़कन से बंधी भाग 70

डोर धड़कन से बंधी भाग 72








Comments

Popular posts from this blog

नादां तेरे शहर को | Desolate Memories of a Mother's Love

Perfect Coffee at Home: Easy Recipes for Every Mood | घर पर परफेक्ट कॉफी बनाने का तरीका | ब्लैक, मिल्क और कोल्ड कॉफी रेसिपी

कुछ अनकही (कालेज वाला प्यार) भाग 1 | Kuch Ankahi: Unspoken College Love Story Part 1 | Emotional Hindi Romance