डोर धड़कन से बंधी भाग 72 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 72 | Hindi Romantic Story
शिवाय के साथ ज़िन्दगी का तजुर्बा था।
यह सच था कि उन्हें दौलत की कभी कमी नहीं रही। लेकिन उन के अंदर दुनिया की समझ थी। हज़ारों इंटरव्यू लिये थे उन्होंने। हमेशा अलग-अलग लोगों से मिले थे। उनकी आफिस में काम करने वाला हर बंदा उनका दिवाना था।
क्योंकि वह सिर्फ एक बॉस नहीं बल्कि एक काउंसलर भी थे। जो अपने आसपास के लोगों को हमेशा सही राह दिखाते रहे थे।
घर आते ही हाजी साहेब का गुस्सा उबल पड़ा, जो दुकान पर ग्राहकों की वजह से दबा हुआ था।
शिवाय भी अन्दर रूम में जाने के बजाए वहीं पर बैठ गए।
आवाज़ सुनकर श्लोका भी बाहर आ गई।
क्या बात हो गई अब्बा जो आप इतना नाराज़ हो रहे हैं?
आज इन का पहला दिन था अगर गलती हो गई तो जाने दें। असमा हाजी साहेब को समझाने की कोशिश करती है। उसे अच्छा नहीं लग रहा था कि इस तरह अब्बा उन पर नाराज़ हों।
गलती ही तो हो गई… इन को स्कूल में मास्टर होना चाहिए और यह चप्पल की दुकान पर चले गए।
हर आने वाले कस्टमर को सिखा रहे हैं।
अपनी शख्सियत निखारो…हाजी साहेब शिवाय की नकल करते हैं जिसे देख कर हर कोई हंस पड़ता है।
तुम लोगों को हंसी आ रही है और इन्होंने हज़ारों का नुकसान करा दिया। किसी से कह रहे हैं कि जितनी चादर हो उतना ही पैर फैलाओ, तो किसी से कह रहे कि पैसों को बचाकर चलो।
हाजी साहेब एक बार फिर नाराज़ हुए।
अम्मा आप खाना लगाएं भूख लग रही है। ताहिर जल्दी से कहता है।
शिवाय खामोशी से उठे, उनके साथ ही श्लोका भी उठ गई। दोनों अंदर की तरफ बढ़े।
फिर शिवाय रूककर पीछे घूमते हैं।
कल सुबह से दोपहर तक मैं दुकान पर रहूंगा। दोपहर से शाम तक नहीं रहूंगा। शिवाय हाजी साहेब को देखते हुए कहते हैं और उन के जवाब का इंतेज़ार करने लगते हैं।
ठीक है,वैसे भी आप अच्छे सेल्समैन नहीं हैं। हाजी साहेब कहते ही उठ जाते हैं। और अंदर कमरे में चले जाते हैं।
आप नानू की बात से नाराज़ हो गए? ताहिर उदासी से पूछता है। वैसे भी शिवाय की बातें उसे पसंद आई थी। वह उनका साथ चाहता था।
नहीं, अपने बड़ों की बातों से मैं कभी नाराज़ नहीं होता। मुझे कुछ और भी काम हैं। शिवाय ताहिर के कंधे को थपथपाते हुए कहता है।
ठीक है फिर सुबह हम साथ चलेंगे। ताहिर खुश हो गया।
शिवाय भी मुस्कुरा दिए। और दोनों अंदर चले गए।
जैसे ही शिवाय फ्रेश होकर आए सबा खाना लेकर आ गई।
दोनों बातें करते हुए खाना खाते रहे।
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काजल शिवाय के आफिस में बैठी आराम से फोन चला रही थी। उसका यह रोज़ का काम था। आफिस आती सारा दिन फोन देखते, कॉफी पीती।
अरे यार मस्त ज़िन्दगी है। यह अमीरों वाली ज़िन्दगी की बात ही कुछ और है। आराम से बैठे रहो, सारा काम वर्कर करते हैं। बिल्कुल फिल्मों वाली ज़िन्दगी है। अभी भी वह किसी से फोन पर बात कर रही थी।
तभी कोई दरवाज़े पर नॉक करता है। फोन रखकर वह सामने देखती है। उनका मैनेजर बहुत सारी फाइलों के साथ खड़ा था।
मैम एक बार आप यह फाइल देख लें तो काम आगे बढ़ जाए। मैनेजर फाइल की तरफ इशारा करते हुए कहता है।
यह फाइल मैं देखूं? काजल हैरानी से पूछती है।
जी मैम, क्योंकि सारी फाइलों को पहले शिवाय सर खुद देखते थे। फिर काम आगे बढ़ता था। आप यह देख लें तो और भी फाइलें हैं मैं वह भेज देता हूं।
मैं तो दस दिन से आफिस आ रही हूं, तब तो कोई काम नहीं था, फिर यह अचानक? फाइलों को देख कर ही उसे उलझन हो रही थी।
ऐसा ही होता है मैम कभी काम कम रहता है कभी ज़्यादा। जब ज़्यादा काम रहता है तो शिवाय सर तो दिन-रात काम करते हैं। मैनेजर एक बार फिर शिवाय की तारीफ करता है।
हां ठीक है तुम जाओ, मैं देखती हूं। शिवाय की तारीफ पर उसका खून खौल जाता है।
और हां सुनो…मेरे एकाउंट में पांच लाख रुपए ट्रांसफर कर देना। काजल किसी बॉस की तरह हुक्म देती है।
सॉरी मैम लेकिन यह नहीं हो सकता। मैनेजर धीरे से कहता है।
क्यों नहीं हो सकता? काजल हैरान हुई।
मैम पैसा ट्रांसफर करने की वजह?
वजह क्या? मैंने कह दिया। आप कर दें। काजल का पारा हाई होने लगा था।
मैम हर बात की वजह होती है…अभी तक यह कंफर्म नहीं है कि आप कौन हैं, और जब तक यह कंफर्म नहीं हो जाता आप को पैसा ट्रांसफर नहीं हो सकता। मैनेजर की जान पर बनी हुई थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह उसे कैसे समझाएं।
मैं ओबेरॉय की होने वाली बहू हूं। आप तुरंत पैसा ट्रांसफर करें।
काजल अपने गुस्से को दबाते हुए कहती है। वरना उसका बस नहीं चल रहा था कि वह सारे पैसों को अपने एकाउंट में ट्रांसफर करा लें।
सॉरी मैम आप एक बार शिवाय सर से बात कर लें। अगर वह कहते तो मैं कर दूंगा।
मैनेजर ने बात खत्म कर दी।
अच्छा ऐसा करो, प्रेम के एकाउंट में पैसे डाल दो। काजल तुरंत पैंतरा बदलती है।
यह भी नहीं हो सकता।
क्यों? काजल हैरान हुई।
प्रेम सर ने अपना खुद का बिज़नेस स्टार्ट कर दिया है। इस लिए कम्पनी से वह कोई पैसा नहीं ले सकते। और हां उन को हर महीने पांच लाख रुपए जो जेब खर्च के लिए मिलता था उसको भी कम करके एक लाख कर दिया गया है। अगले महीने से उनको सिर्फ एक लाख रुपए मिलेगा।
मैनेजर की बातें सुनकर काजल का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है।
दफा हो जाओ मेरे सामने से…काजल चिल्लाते हुए कहती है।
मैनेजर चुपचाप चला जाता है।
अभी के अभी तुम यहां आओ। काजल प्रेम को फोन करती है।
अभी मैं काम कर रहा हूं, फ्री होते ही आता हूं। प्रेम कहते ही फोन रख देता है। क्योंकि उसको बहुत बड़ा प्रोजेक्ट मिलने वाला था उसी पर वह रात दिन मेहनत कर रहा था।
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वाव…बहुत प्यारी लग रही हो। मुग्धा पूजा को साड़ी और मैचिंग ज्वेलरी पहने देख खुशी से कहती है।
सुबह मेरी नींद देर से खुली थी, जब उठी तो देखा यह साड़ी रखी थी और आरव का मैसेज था कि यह पहन कर तैयार रहना। पूजा शरमाते हुए कहती है।
आज तो इन को आने में देर हो गई फोन करो। मुग्धा घड़ी देखते हुए कहती है।
आरव ने फोन करने के लिए मना किया था।
ओह…मुग्धा एक बार फिर मुस्कुराई।
उसी वक्त गाड़ी का हार्न बजता है।
लो आ गए वह लोग…
अन्दर आते ही उनकी नज़र तैयार पूजा पर पड़ती है।
मेरी बिटिया तो बहुत प्यारी लग रही है। आदर्श खुशी से कहते हैं।
थैंक्स…काजल मुस्कुरा दी।
आरव भी प्यार से पूजा को देखता है दोनों मुस्कुरा देते हैं।
मैं चेंज करके आता है। आरव अंदर की तरफ बढ़ता है।
जाओ पूजा बेटा आरव को शायद कोई काम हो।
मुग्धा जल्दी से कहती है।
नहीं मम्मी, मैं बस आ रहा हूं। वह मना कर देता है। और अन्दर चला जाता है।
पूजा चाय वगैरह का इंतेज़ाम देखने लगती हैं।
सब के आते ही वह सब साथ में चाय पीते हैं। साथ में पिज़्ज़ा वगैरह भी था जिसे खाकर हर किसी को बहुत मज़ा आया।
मैं डिनर लेट से करूंगा। अभी बहुत कुछ खा लिया है। चाय पीते ही आरव उठते हुए कहते हैं।
ठीक है तुम दोनों को जब डिनर करना हो तो कर लेना। लेकिन हम टाइम से कर लेंगे। आदर्श मुग्धा को देख कर कहते हैं।
ठीक है…कहते ही वह दोनों अंदर चले जाते हैं।
अन्दर जाते ही आरव काजल का हाथ थाम कर शीशे के सामने ले जाता है। और फिर…
जारी है…
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