डोर धड़कन से बंधी | भाग 73 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 73 | Hindi Romantic Story

अन्दर जाते ही आरव काजल का हाथ थाम कर शीशे के सामने ले जाता है। और फिर उसे शीशे में देखने लगता है। 

बहुत हसीन लग रही हो…आरव उसमें खोने लगा।

सुबह मुझे जगाया क्यों नहीं?

क्या ज़रूरत जगाने की? कुछ काम होता तो ज़रूर जगा देता।

और यह साड़ी और यह ज्वेलरी?

बस मन कर रहा था तुम को इस रूप में देखने का तो बोल दिया।

अच्छा आंख बन्द करो, 

क्यों?

बन्द करो फिर बताता हूं।

ठीक है लो कर लिया बन्द…

ऐसे ही बन्द किए रहना, चीटिंग मत करना।

मैं चीटिंग नहीं करती।

आरव अपनी पाकेट से ब्रेसलेट निकाल कर उसके हाथ में पहना देता है।

अब आंख खोलो।

यह तो बहुत सुंदर है।

वह देख कर ही खुश हो जाती है।

तुम्हें अच्छा लगा?

हां बहुत…

इसी लिए आने में देर हो गई?

हूं…

पा भी आप के साथ थे।

हां…

पा मेरे दोस्त भी हैं।

वैसे भी मुझे लड़कियों की पसंद का कोई आइडिया नहीं है। पहली-पहली शादी है ना।

पहली-पहली…पूजा हंसी।

हूं, वह भी हंस पड़ा। और उसके आगे आई बालों की लटों को प्यार से पीछे करता है।

पा कहते हैं…बीवी खूबसूरत हो ना हो…मगर सुकून देने वाली हो। जिस के पास जाकर आप सब कुछ भूल जाएं। और देखो मेरी ज़िन्दगी में कितना सुकून है। मेरी खूबसूरत बीवी मेरी ज़िन्दगी का सुकून।

आरव प्यार से उसे देखते हुए कहता है।

शाम का हसीन माहौल था। ठंडी हवाएं चल रही थीं। पर्दे हवा के साथ उड़ रहे थे। कमरे की मद्धम रोशनी माहौल को और खूबसूरत बना रही थी।

आरव की मुहब्बत भरी नज़रें और पूजा की मासूम मुस्कान…हर पल रंग बदलता उन का प्यार, दोनों ही एक-दूसरे में खो जाना चाहते थे।

वक्त बीत रहा था, और हर गुज़रते वक्त के साथ उनका प्रेम बढ़ रहा था। 

तुम्हें पता है? मेरे दोस्त कहते थे तुम बहुत शांत हो। तुम प्यार में बहुत धीरे आगे बढ़ रहे हो। आरव पूजा को प्यार से देखते हुए कहता है।

और मैं उनसे कहता था, प्यार एक दिन का थोड़ी है वह तो ज़िन्दगी भर निभाने वाली चीज़ है। यह क्या कि शुरू में पागलों की तरह प्यार करो। और फिर एक वक्त के बाद सब खत्म।

क्यों क्या ख्याल है? आरव उसके गाल को पिंच करता है जो बहुत ध्यान से उस की बातें सुन रही थी।

प्यार के बारे में मैं ज़्यादा कुछ नहीं जानती, लेकिन मौम डैड का प्यार देखा है। ऐसा प्यार जो आंखों से छलकता हो। वह दोनों बिना कहे एक दूसरे की बात को समझ जाते हैं।

किस को कब क्या ज़रूरत है यह उन दोनों को कभी कहना नहीं पड़ता है। उन्होंने कभी दुनिया को दिखाने के लिए प्यार नहीं किया।

दूसरों के सामने उन के संस्कार हमेशा एक मिसाल थी।

पूजा अपने मौम डैड के प्रेम में खो गई थी।

आप बिल्कुल मुझे डैड जैसे लगते हैं। आपकी आदतें बिल्कुल डैड जैसी हैं। और आप का प्यार भी सुकून और मुहब्बत भरा। पूजा प्यार से आरव का हाथ थाम कर अपने होंठों से लगा कर कहती है।

और तुम भी श्लोका का दूसरा रूम हो। आरव एक बार फिर उसे खुद के करीब करता है।

खाना खाएंगे? पूजा जल्दी से कहती है।

यह खाना कहां से आ गया बीच में? आरव मुस्कुरा कर उसे देखता है। जिस के चेहरे पर हया की लाली फैली हुई थी।

क्यों खाना नहीं खाना है बहुत देर हो गई है। पूजा जल्दी से पूछती है।

ठीक है खा लेते हैं वरना यह खाना मेरे प्यार में हड्डी बना रहेगा। आरव उदासी से कहता है।

उसकी शक्ल देख कर पूजा बहुत ज़ोर से हंस पड़ती है।

और उसे हंसता देख आरव उसे गले से लगा लेता है। 

हमेशा ऐसे ही खुश रहना। आरव उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर कहता है। मैं तुम्हें कितना प्यार करता हूं यह बताने के लिए मेरे पास अल्फाज़ नहीं है। लेकिन मेरे प्यार से तुम यह बात जान जाओगी। मैं तुम्हें इतना प्यार दूंगी कि तुम खुद पर रश्क करोगी।

आरव उसके चेहरे के करीब हुआ, दोनों की सांसें तेज़ हो गईं। बेतरतीब होती धड़कन उसकी मुहब्बत की गवाही दे रही थी।

खाना…पूजा के लब हिले।

आरव हंस पड़ा।

उसको साथ लिए फोन के पास गया। इंटरकॉम से खाने का बोल कर वह एक बार फिर उसकी तरफ घूमा। दोनों ही खामोश थे, मगर निगाहें बोल रही थीं।

दरवाज़े पर नॉक होते ही आरव जाकर दरवाज़ा खोल देता है। स्टाफ खाना टेबल पर लगा कर चले जाते हैं। आरव पूजा का हाथ थाम कर सोफे के पास जाकर पहले उसको बैठाकर खुद भी बैठ जाता है।

प्लेट में खाना निकाल कर पहले पूजा को खिलाता है और फिर खुद खाता है। पूजा खामोशी से खाती जाती है।

आरव का प्रेम उसके दिल में उतर रहा था। 

और आरव.... वह खामोशी से उसे खिला रहा था।

खाना खाते ही स्टाफ सब हटाने लगते हैं। 

आरव पूजा को लेकर बालकनी पर चला जाता है।

आरव का प्रेम और पूजा की मासूमियत उन की ज़िंदगी को और खूबसूरत बना रही थी।

उन के प्रेम का खूबसूरत सफर आगे बढ़ रहा था। जहां प्रेम था सिर्फ प्रेम…

♥️

दरवाज़े पर नॉक होता है…शिवाय और श्लोका दोनों एक दूसरे को देखते हैं। 

हो सकता है कोई काम हो। श्लोका अंदाज़ा लगाती हैं।

इतनी रात हो गई है। शिवाय परेशान हुए।

मैं देखती हूं, श्लोका उठ कर दरवाज़ा खोलती है।

सामने राहिल खड़ा था।

अंदर आ सकता हूं?

आ जाओ। श्लोका सामने से हट गई।

राहिल अन्दर आ गया।

शिवाय उठकर बैठ गए।

सब ठीक? शिवाय को टेंशन हुई।

आप ने जो-जो कहा था मैंने सब काम कर दिया। वह लैपटॉप उन के सामने खोलता है।

तो मैं क्या करूं? शिवाय लैपटॉप की तरफ देखते भी नहीं।

आप ही ने तो कहा था कि अगर खुद का बिज़नेस करना है तो यह सब कम्पलीट कर के आओ। राहिल परेशानी से बोला।

कहने को तो कोई कुछ भी कह सकता है। तो क्या हम हर किसी की बात पर यकीन कर लें क्या। 

कल को मैं कहूंगा कि कुएं में कूद जाओ तो तुम कूद जाओगे? बेकार में मेरी नींद खराब कर दी। मैंने कहा कि अपना बिज़नेस शुरू कर दो। और आप मेरी बात मान गए…

क्या बात है…शिवाय बहुत ज़ोर से हंसे। श्लोका भी मुस्कुरा दी।

और राहिल… वह तो बुत बना हैरानी से कभी श्लोका को तो कभी शिवाय को देखता है। उसकी रात-दिन की मेहनत पल भर में मिट्टी में मिल गई थी।

जारी है…

डोर धड़कन से बंधी भाग 72

डोर धड़कन से बंधी भाग 74







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