डोर धड़कन से बंधी | भाग 74 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 74 | Hindi Romantic Story
कल को मैं कहूंगा कि कुएं में कूद जाओ तो तुम कूद जाओगे? बेकार में मेरी नींद खराब कर दी। मैंने कहा कि अपना बिज़नेस शुरू कर दो। और आप मेरी बात गए…
क्या बात है…शिवाय बहुत ज़ोर से हंसे। श्लोका भी मुस्कुरा दी।
और राहिल… वह तो बुत बना हैरानी से कभी श्लोका को तो कभी शिवाय को देखता है। उसकी रात-दिन की मेहनत पल भर में मिट्टी में मिल गई थी।
वह खामोशी से लैपटॉप अपनी तरफ करता है और उसको बन्द करके उठ खड़ा होता है। उसका सारा जोश एक पल में खत्म हो गया था।
जब उस से शिवाय ने कहा था कि अपना बिज़नेस शुरू करोगे? तो उसे मज़ाक लगा था लेकिन फिर वह सोचता रहा और उसने फैसला लिया कि वह बिज़नेस करेगा। उसे लगा शिवाय अंकल उसकी मदद करेंगे। और वह जीजान से काम में लग गया।
और आज जब सारी तैयारियां करके वह आया था तो वह ऐसे अंजान बन गए जैसे उन के बीच कोई बात ही ना हुई हो।
वह लैपटॉप उठा कर जाने के लिए दरवाज़े की तरफ मुड़ गया।
तभी पीछे से कोई उसके कंधे पर हाथ रखता है।
उसके कदम ठहर जाते हैं। लेकिन वह मुड़ता नहीं है, क्योंकि अब पीछे उसके लिए पछतावे के सिवा कुछ नहीं था।
उसकी सारी उम्मीदें दम तोड़ चुकी थीं। वह पहले ही कदम पर टूट गया था। उसकी आंखें नम हो गई। वह आगे की तरफ कदम बढ़ा देता है।
इतनी नाराज़गी?
नाराज़गी नहीं बेवकूफी…वह शिवाय की तरफ घूम कर कहता है।
बेवकूफ था मैं…एक अंजान इंसान की बातों में आ गया। बिना सोचे-समझे उसको अपना समझ बैठा। आप पर विश्वास करना मेरी सबसे बड़ी भूल थी। राहिल नाराज़गी से कहता है।
लेकिन अपनी यह भूल मैं कभी नहीं भूलूंगा। यह सबक मुझे हमेशा याद रहेगा। कहते-कहते एक बार फिर उसकी आंख नम हो गई, उसका गला भारी हो गया।
यही तो मैं चाहता था…कहते ही शिवाय एक कदम आगे बढ़ कर उसे गले लगा लेते हैं।
शिवाय के गले लगते ही वह फूट-फूट कर रो पड़ता है।
शिवाय उसकी पीठ थपथपाते हैं।
शुक्रिया मुझे गले लगाने के लिए…वरना शायद मैं जी ना पाता। वह अलग होकर कहता है।
ज़िन्दगी बहुत मुश्किल है मेरे दोस्त…हर कदम पर मज़बूत बनो, चाहे कितनी ही मुश्किल क्यों आ जाए। शिवाय चेयर पर बैठते हुए कहते हैं।
वह शिवाय के करीब ज़मीन पर बैठ जाता है।
मतलब आप ने मुझे सबक सिखाने के लिए यह सब कहा?
हां, क्योंकि इस तरह आंख बन्द करके किसी की बात पर भरोसा करना नादानी है।
मैं समझ गया…आप ने यूं ही बोल दिया और मैंने आप पर भरोसा कर लिया। यह मेरी गलती थी। और ऐसी गलती मैं दोबारा नहीं करूंगा। यह मेरा आप से वादा है।
कल से मैं नानू की दुकान पर जाऊंगा। और बहुत मन लगाकर काम करूंगा। नानू की सिर्फ एक ही ख्वाहिश है कि मैं भी दो पैसे कमाने लगूं। अब मैं नानू की इच्छा ज़रूर पूरी करूंगा।
राहिल मुस्कुरा कर कहता है। और उठ खड़ा होता है। एक नज़र श्लोका को देखता है। जो उसे ही देख रही थी।
अब जाकर सुकून से सो जाओ। श्लोका मुस्कुरा कर कहती है।
आज की रात इसे नींद नहीं आएगी यह सारी रात जागेगा…क्यों सही कह रहा हूं ना? शिवाय उसको देखते हुए पूछते हैं।
जी, लेकिन एक बात कहूं? आप के बात करने का अंदाज़ ऐसा है कि कोई भी भरोसा कर लेगा। जैसे मेरी अम्मी धोखा खा गई। और फिर मैं…वह तंज़ से हंसा था।
शिवाय अब इसका और इम्तिहान ना लें, श्लोका जल्दी से कहती है।
तुम बैठो जब नींद नहीं आयेगी तो कुछ काम ही कर लो। श्लोका उसे बेड पर बैठने का इशारा करती है।
वह हैरानी से एक नज़र श्लोका को और फिर शिवाय को देखता है।
ऐसे क्या देख रहे हो? बैठो जल्दी बहुत सारे काम हैं, फिर सोना भी है। शिवाय लापरवाही से कहते हैं। और उसके हाथ से लैपटॉप लेकर उसे खोल कर देखने लगते हैं।
खड़े क्या हो? बैठो… बिज़नेस करना है ना? शिवाय उसे वैसे ही खड़ा देखकर कहते हैं।
क्या सच में? वह हैरान हुआ। उसकी आंख में आंसू थे, लेकिन उसके होंठों पर मुस्कान थी।
हां सच में…शिवाय मुस्कुरा दिए।
वह जल्दी-जल्दी एक-एक चीज़ शिवाय को दिखाने लगा।
और शिवाय बहुत ध्यान से सब देखने लगे।
और फिर वह राहिल को आर्डर लेने और बाकी काम को करने का बताने लगे। जिसे वह बहुत ध्यान से सुनता रहा। जाओ अब सो जाओ। बाकी काम कल कर लेना।
सब कुछ बता कर शिवाय उससे कहते हैं।
मुझे माफ कर दें, मैंने आप को गलत समझा। राहिल शर्मिंदा हुआ।
ज़रूरी नहीं कि एक इंसान सही मिल गया तो हर इंसान सही ही मिलेगा। शिवाय एक बार फिर नसीहत करते हैं।
जी, आप की सीख मैं सारी ज़िन्दगी याद रखूंगा। वह मुस्कुरा कर कहता है और बाहर निकल जाता है।
थक गए? अब आराम करें। शिवाय के लेटते ही श्लोका प्यार से उनके सिर पर हाथ फेरती हुई कहती है।
तुम्हारे करीब आकर सारी थकन, सारी परेशानी भूल जाता हूं। शिवाय उसे प्यार से देखते हुए कहते हैं।
आपको सुकून में देखकर मुझे सुकून मिल जाता है। श्लोका मुस्कुरा कर शिवाय को देखती है और उसके माथे पर अपने होंठ रख देती है।
तुम्हारा यह एहसास मेरे अंदर नई जान डाल देता है। शिवाय धीरे से श्लोका को भी लिटा देते हैं। और एक टिक देखने लगते हैं।
तुम से सारी खुशियां छीन कर मैं तुम्हें इस एक कमरे में ले आया। इस के लिए मुझे माफ कर दो। शिवाय की आंख नम हो गई।
मेरी सबसे बड़ी खुशी आप हैं। मुझे हमेशा हर हाल में आप का साथ चाहिए और कुछ नहीं। कहते ही श्लोका करवट होकर शिवाय के गले में बांहें डाल कर आंख बन्द कर लेती है।
उसको ऐसा करते ही शिवाय भी सुकून से आंख बन्द कर लेते हैं।
उनका मुहब्बत भरा सफर हर दिन एक नया एहसास देता था। और यही उन के मुहब्बत की निशानी थी।
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क्यों इतना नाराज़ हो रही हो? जब तुम ने फोन किया था उस वक्त मैं बिज़ी था। इस लिए नहीं आ सका। प्रेम एक बार फिर काजल को मनाने की कोशिश करता है।
आज से पहले तो तुम ने कभी ऐसा नहीं किया। काजल गुस्से से कहती है।
कालेज तब में मैं फ्री होता था। लेकिन अब मैं काम कर रहा हूं। मुझे अपना बिज़नेस खड़ा करना है।
एक बार फिर उसे वही बात समझाता है जो बात वह बहुत देर से समझा रहा था।
वह दो टके का मैनेजर मुझ से कहता है कि आप को पैसा नहीं मिल सकता। वह एक बार फिर गुस्से से लाल हो जाती है।
हर जगह के कुछ नियम होते हैं। कोई ऐसे ही किसी को पैसा क्यों देगा। प्रेम उसे समझाता है।
मैं किसी में नहीं आती… मैं ओबेरॉय की होने वाली बहू हूं। काजल गर्व से कहती है।
होने वाली…प्रेम उसे याद दिलाता है।
तुम तो उनके बेटे हो, तुम को क्या मिला? अभी तुम्हारा काम शुरू भी नहीं हुआ और तुम्हारी पाकेट मनी पांच लाख से एक लाख हो गई। काजल तंज़ करती है।
और यह जो महल में रहता हूं, अच्छा खाता हूं, अच्छा पहनता हूं। हर तरह का आराम है यह क्या है? प्रेम अपनी नज़र उसके चेहरे पर जमा देता है।
मुझे पांच लाख चाहिए…तुम दोगे? काजल बात बदल देती है।
हर वक्त पैसा पैसा पैसा…मैं तुम से कितना प्यार करता हूं? कभी यह महसूस किया है तुमने? प्रेम उदासी से कहता है। उसकी नज़रों के सामने अपने मौम डैड का प्यार आ जाता है कि किस तरह मौम डैड की हर बात का ख्याल रखती हैं। कभी वह एक दूसरे पर गुस्सा नहीं हुए।
वैसा ही प्यार प्रेम वह काजल से भी करता था। और वह चाहता था कि काजल भी उस से वैसा ही प्यार करे। लेकिन काजल हर वक्त शापिंग, पैसा, घूमना-फिरना…यही सब लगा रहता। सुकून से घर में रहना वह जानती ही नहीं थी। और प्रेम इतने ही दिन में उन बातों से ऊब चुका था।
प्यार से ज़िन्दगी नहीं चलती प्रेम…उसके लिए पैसा चाहिए। प्यार से मन भर सकता है, लेकिन पेट नहीं, उसके लिए खाना चाहिए। और खाने के लिए पैसा।
काजल जब देखती है कि गुस्से से दाल नहीं गल रही तो वह बहुत प्यार से प्रेम के गले में बांहें डाल कर कहती है।
तुम फिक्र मत करो, इतना तो मैं कमा ही लूंगा कि हम दो वक्त का खाना अच्छे से खा सकें। प्रेम खुशी से कहता है।
मुझे सिर्फ दो वक्त की रोटी नहीं चाहिए मिस्टर प्रेम सिंह ओबेरॉय…काजल मन ही मन सोचती है। और प्रेम को अपने प्रेम में उलझा देती है। क्योंकि वह जानती थी कि प्रेम से ही उसे वह सब कुछ मिल सकता है जो उसका ख्वाब है।
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अब आगे क्या करना है? शिवाय के मैनेजर आदर्श की ओर देखते हुए पूछते हैं।
बस अब रोज़ सुबह ऐसे ही उसके टेबल पर फाइलों का पहाड़ लगा दो।
तुम्हें लगता है ना कि पैसा बहुत आसानी से कमाया जा सकता है। अब मैं तुम को बताऊंगा कि पैसा कैसे कमाया जाता है? तुम ने मेरे दोस्त पर उंगली उठाई है। आदर्श मन ही मन सोचते हैं।
ठीक है सर जैसा आप ने कहा है मैं वैसा ही करूंगा। वैसे शिवाय सर विदेश से कब वापस आ रहे हैं? मैनेजर ने जानने की कोशिश की।
आ जायेंगे। जैसे ही उनका काम खत्म होगा। तब तक आप अपनी ज़िम्मेदारी निभाएं। आदर्श कहते ही उठ खड़े हुए।
मैं तो अपनी ज़िम्मेदारी निभा ही रहा हूं। लेकिन आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि सर से बात भी ना हो सके। वरना हमेशा वह हमारे सम्पर्क में रहते थे। कोई काम होता तुरंत कॉल कर लेते थे हम। मैनेजर ने अपनी बात रखी।
आप लोग फोन करके बहुत परेशान करते थे। इस लिए इस बार वह ऐसे गए कि कुछ दिन सुकून से रहें। आदर्श हंसते हुए कहते हैं। और कॉफी हाउस से बाहर निकल जाते हैं।
लौट आओ शिवाय…तुम्हारा यह दोस्त बहुत अकेला हो गया है। आदर्श मन ही मन शिवाय को याद करते हैं। और उस रोड पर गाड़ी घुमा देते हैं जहां उन्हें आखरी बार छोड़ा था।
शिवाय को सिर्फ एक झलक देखने के लिए आदर्श हर रोज़ सड़कों पर यूं ही घूमते रहते। लेकिन उन का दोस्त तो किसी और ही दुनिया में पहुंच चुका था।
जारी है…
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