इश्क जान | Ishq Jaan Part 2 | Heartfelt Romance & Wedding Story

शजल के दिल की धड़कन तेज़ हो गई। वह खामोश बैठी रही। पीछे बैठी औरते आज के फंक्शन के बारे में बात कर रही थी। और यह दोनों बिल्कुल खामोश थे। लेकिन इनके अंदर एक शोर था। जिसकी आवाज़ सिर्फ उन्हें ही सुनाई दे रही थी।

आगे जाकर वह जो हरी मेडिकल का बोर्ड लगा है। वहां पर रोक दें।

शजल ने सामने देखते हुए कहा।

क्यों तुम घर नहीं चल रही हो?

नहीं।

शजल ने उसे देखते हुए कहा।

आगे जाकर परमजीत ने गाड़ी रोक दी। और उसको देखने लगा। 

शजल ने उतरते ही सबको बाय बोला और आगे बढ़ गई।

परमजीत उसे जाता हुआ देखता रहा। फिर गाड़ी स्टार्ट 

कर के आगे बढ़ गया।

एक दिन बाद फिर संगीत का फंक्शन था।

संगीत का प्रोग्राम घर के बाहर लॉन में थे। इस वजह से हर कोई मस्त था। कही आना जाना नहीं था। हर कोई घर के अंदर बाहर कर रहा है।

गाना बज रहा था। स्टेज तैयार था। थोड़ी ही देर में संगीत का प्रोग्राम शुरू होने वाला था। 

आठ बजते-बजते चेयर फुल होने लगी थी।

शजल भी अपने मम्मी पापा के साथ ऐनटर करती है। और एक जगह जाकर बैठ जाते हैं। 

हर कोई उन के पास आना शुरू कर देता है। क्योंकि शजल की मम्मी हल्दी में नहीं आई थी।

शजल भी सब से मिल रही थी। 

रज़ील भी वहीं आस पास कुर्सी पर बैठ गया। 

अब अगले साल शजल की शादी का नम्बर है। 

वहां बैठी किसी लेडी ने शजल की मम्मी से कहा।

जी ज़रूर। शजल की मम्मी ने खुशी से कहा।

रज़ील के कान खड़े हो गए।

अगले साल शजल की शादी तो इसका मतलब इस बार इंगेजमेंट हो जाना है। यही तो होता आया है। एक शादी में सब लोग आता है और दूसरी फिक्स करके जाता है। 

रमीज़ का ध्यान अब उनकी बातों में नहीं बल्कि अपने ख्यालों में था। 

वह वहां से उठ गया।

संगीत का प्रोग्राम शुरू हो चुका था।

मगर रज़ील का ध्यान कहीं और था।

अब मैं चाहती हूं कि मेरी दोस्त शजल स्टेज पर आए और कुछ कहे। क्योंकि डांस वगैरह तो उसे पसंद नहीं है।

अचानक से शजल की दोस्त फरियाल ने स्टेज से एनाउंस किया। और शजल को हाथ देकर बुलाया।

शजल ने मना किया। मगर फरियाल नहीं मानी।

शजल स्टेज पर पहुंची।

हर निगाहें स्टेज पर था। और शजल के जाते ही हर निगाह उस पर थी।

ब्लू कलर का हैंडवर्क के काम के साथ सूट और बलैक कलर की पैंट, ब्लू बलैक कलर का दुपट्टा जिस को उसने बायें साइड कंधे पर रखा हुआ था।

एक बार फिर उसकी सादगी तड़क-भड़क की भीड़ पर छा गई।

रज़ील चुपचाप उसे देख रहा था।

मैं क्या बोलूं?

शजल ने स्टेज पर आते ही नारवाल से पूछा।

उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था।

कुछ भी बोल दो।

नारवाल ने हंसते हुए कहा।

देखिए मेरी दोस्त ने कहा है कुछ भी बोल दो। इसलिए मैं जो भी बोलूं। आप लोग नाराज़ मत होना।

उसी वक्त परमजीत की हॉल में एंट्री होती है। और उसकी निगाहें सीधे स्टेज पर बोलती हुई शजल पर पड़ती है। वह वहीं ठहर जाता है।

शजल बोलती रहती है उसकी आवाज़ उसके कानों में रस घोल रहे थे। और बीच-बीच में उसके कहकहे उसके दिल को बेकाबू कर रहे थे।

हम हमेशा शादियों में इकट्ठा होते हैं। और इन शादियों में इकट्ठा होने का जुनून हमारे सिर पर हमेशा चढ़ा रहता है। क्योंकि एक दूसरे से दूर रहने वाले अपनों से मिलन की आस में रहते हैं। यह शादी खत्म होते ही दूसरी शादी की तैयारी शुरू हो जायेगी।

बहुत सारे पैरेंट्स अपने बच्चों के लिए बहू और दामाद ढूंढ रहे हैं। कुछ रिश्ते तो आज कल में तय भी हो जायेंगे।

शजल ने हंसते हुए कहा।

कुछ निगाहें अभी भी शजल पर थी। मगर शजल इस से अंजान थी‌।

इन तय होते रिश्तों के बारे में कुछ कहोगी?

नारवाल ने हंसते हुए कहा।

जिस की भी तय हो। मुहब्बत से तय हो। कोई दिल ना टूटे। कोई आंख ना रोये।

शजल ने सादगी से कहा। और माईक नारवाल को देकर नीचे उतर गई।

पूरा लॉन तालियों से गूंज उठा।

एक तरफ परमजीत तालियां बजाता जा रहा था।

वहीं रज़ील अपने अंदर कुछ टूटता सा महसूस कर रहा था। 

यह दिल के किस्से भी अजीब होते हैं। हर वक्त डर बना रहता है। 

स्टेज पर डांस चल रहा था। ऊंची आवाज़ में गाना बज रहा था। हर तरफ खुशियां ही खुशियां थी। इन्हीं खुशियों में कुछ चेहरे ऐसे थे जो अपने दर्द को छुपाये हुए थे। वह दर्द  जिसे मुहब्बत कहते हैं। मुहब्बत जब तक मिल ना जाए दर्द रहता है। और जब मिल जाए तो दवा बन जाता है। किसी को चाहना आसान है मगर उस चाहत को पा लेना बहुत मुश्किल है।

जारी है......

इश्क जान भाग 1

इश्क जान भाग 3





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