डोर धड़कन से बंधी | भाग 35 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 35 | Hindi Romantic Story
वाह मिस्टर ओबेरॉय, आपके जवाब ने तो सबको सोचने पर मजबूर कर दिया। रिश्तों की परिभाषा इतनी खुबसूरती से शायद ही किसी ने समझाई हो।
फाइनल राउंड से पहले, एक सवाल मिस शिवन्या से।
अगर कभी आपके दोस्त की एक ऐसी सच्चाई सामने आए, जो आपको दुखी कर दे...तो क्या आप उस दोस्ती को निभाएंगी या छोड़ देंगी?
होस्ट के साथ-साथ हर नज़र शिवन्या पर थी।
शिवन्या के चेहरे पर पल भर को भाव बदल गए। वह थोड़ा सा झुकी। जैसे अतीत का कुछ याद करने की कोशिश कर रही हो।
फिर उस ने ठहर कर कहा...
अगर वह सच्चाई इन्होंने खुद बताई हो, तो वह दोस्ती छोड़ने लायक नहीं...निभाने लायक होगी। क्योंकि सच्चाई छुपाई जाए तो धोखा बनती है, और बताई जाए तो भरोसा।
स्टेज के कोने में खड़ी एक महिला की आंखें नम हो गई। शायद वह अपने किसी रिश्ते में यही जवाब तलाश रही थी
शिवाय ने गौर से शिवन्या को देखा....वह अब सिर्फ एक दोस्त नहीं रही थी।
बहुत ही खूबसूरत जवाब....
और अब....आता है वह पल जिसका सबको इंतेज़ार है...फाइनल राउंड!
मेरे सवाल करते ही जो पहले हाथ उठाइएगा। वही जवाब देगा। और वही फाइनल जवाब होगा।
शिवाय और शिवन्या दोनों एक दूसरे को देखते हैं। और फिर नज़र होस्ट पर जमा देते हैं।
अगर आपको पता चले कि जिसे आप सबसे ज़्यादा चाहते हैं, वह अब कभी आपका नहीं हो सकता.... तो क्या आप उससे दूर चले जायेंगे, या पूरी ज़िंदगी उसे चुपचाप चाहते रहेंगे।
शिवाय ने एक पल के लिए अपनी आंखें बंद कीं। शायद वह कुछ सोचने लगे थे।
लेकिन शिवन्या ने हाथ ऊपर कर दिया। शायद वह सोचना नहीं चाहती थी।
मैं उसे चाहते हुए उससे बहुत दूर चली जाऊंगी। मेरे लिए इतना ही काफी है कि वह सुकून में हो... फिर चाहे वो मेरे बिना ही क्यों न हो।
वहां एक दम सन्नाटा पसर गया। सब कुछ ठहर गया था। शिवाय उसकी आंखों में देख रहे थे.... वहां सिर्फ प्यार था, बेबस लेकिन सच्चा।
उन दोनों की आंखों में बहुत कुछ था...और शब्दों से ज़्यादा असर उन की चुप्पी कर रही थी।
फाइनल राउंड का सवाल तो खत्म हो गया था.... लेकिन उनके बीच का रिश्ता एक नई गहराई में उतर चुका था।
स्टेज पर तालियों की गूंज और हूटिंग गूंजने लगी। भीड़ खड़े होकर तालियां बजा रही थी।
रात ढलने को थी। गेम खत्म हो चुका था। शिवाय शिवन्या को विनर घोषित करते हुए उनको गिफ्ट हैम्पर मिल जाता है। हर कोई लौटने लगा था।
शिवाय और शिवन्या अब स्टेज से नीचे आ चुकी थे।
आदर्श और मुग्धा ने आकर दोनों को गले लगाया।
वेल डन, मिस्टर और मिस दोस्ती! आदर्श ने हंसते हुए कहा।
शिवाय मुस्कुराया, लेकिन उस की निगाहें अब भी शिवन्या पर टिकी थी।
चलें? शिवन्या ने पूछा।
हां, लेकिन अब यह दोस्ती कुछ ज़्यादा लगने लगी है...
शिवाय ने धीमी आवाज़ में कहा।
शिवन्या ने उस की ओर देखा, उस की आंखों में कुछ तो था.....
शायद एक वादा, शायद एक शुरुआत....
तो क्या आप इस दोस्ती को एक और नाम देना चाहेंगे?
शिवन्या ने मुस्कुरा कर पूछा।
शिवाय ने हाथ आगे बढ़ाया।
नाम चाहे जो भी हो.... लेकिन साथ हमेशा तुम्हारा चाहिए।
शिवन्या ने उसका हाथ थाम लिया।
चाहे यह रिश्ता दोस्ती था, प्यार था, या सिर्फ एक शुरुआत...जो भी था, दिल से था। सच्चा था।
कॉफी चलेगी? आदर्श शिवाय के करीब आते हुए पूछते हैं।
दौड़ेगी.... शिवाय मुस्कुराए।
हमेशा ऐसे ही खुश रहना। बहुत अच्छा लग रहा तुम को खुश देख कर।
शिवाय को खुश देख कर आदर्श के अंदर भी एक सुकून आ गया था। वरना उसने तो हमेशा शिवाय को बेचैन और दुखी ही देखा था।
शिवन्या और मुग्धा वहीं सोफे पर बैठ जाती हैं।
आदर्श शिवाय भी उन के पास जाकर पास रखे सोफे पर बैठ जाते हैं।
शिवाय की नज़र एक बार फिर शिवन्या पर थी।
शिवाय.....उसी वक्त एक लड़की आकर शिवाय के गले लग जाती है।
जारी है...
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