डोर धड़कन से बंधी | भाग 39 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 39 | Hindi Romantic Story
कहां जा रही हो? इधर बैठो। शिवाय उस का हाथ थाम कर उसको अपने पास बैठा लेते हैं। दोनों एक दूसरे को देखने लगते हैं।
एक बात पूछूंना है तुम से। शिवाय धीमे से कहते हैं।
हूं, शिवन्या थोड़ा चौंकती है।
अगर कभी कोई इंसान किसी से बहुत मुहब्बत करता हो, और फिर वही इंसान अजनबी लगने लगे...तो इसका क्या मतलब होता है?
शिवन्या कुछ पल खामोश रही, फिर बोली...
शायद वह इंसान बदल गया हो, या फिर उसका दिल...या फिर उसकी मुहब्बत।
ऐसे में हमें क्या करना चाहिए?
शिवाय अपनी उलझन उससे सुलझा रहे थे।
वही जो दिल कहे। शिवन्या कहते ही उठ गई।
तुम भी तो कहती थी कि मुझ से प्यार करती हो। फिर यह दूरी क्यों?
कहते हुए शिवाय उस का हाथ पकड़ कर दोबारा बैठा देते हैं। और उस के चेहरे को देखने लगते हैं। जहां पर कोई बेचैनी नहीं थी।
अब शायद मेरी ज़रूरत नहीं...वह पुरसुकून थी।
क्यों? शिवाय बेचैन हो गये।
क्योंकि आपकी श्लोका वापस आ चुकी है। उस के लहजे में कोई दर्द नहीं था।
और हमारा प्यार? शिवाय की बैचैनी बढ़ती जा रही थी।
आप ने कभी मुझ से प्यार नहीं किया। आप श्लोका की तलाश में मुझ तक आते थे। उसने धमाका किया।
तुम जानती थी श्लोका के बारे में?
शिवाय की आंखों हैरानी से फैल गई।
आप जब-जब मेरे करीब आए। आप के दिल से आवाज़ आती
श्लोका....
आप ने कभी शिवन्या को चाहा ही नहीं।
शिवन्या तो सिर्फ श्लोका की परछाई थी। और आज वह परछाई भी मिट चुकी है।
आपकी श्लोका वापस आ चुकी है।
सब जानने के बावजूद भी तुम.... शिवाय ने बात अधूरी छोड़ दी। शायद वह आगे की बात शिवन्या से सुनना चाहते थे।
हां, सब जानने के बावजूद भी मैं आप के करीब रही। वह मेरी मुहब्बत थी। मेरे लिए इतना ही काफी था कि आप मेरे साथ हैं। फिर चाहे शिवन्या के वजूद में श्लोका ही क्यों ना हो।
शिवन्या अपनी बात कह कर उठ जाती है। क्योंकि अब कहने-सुनने को कुछ नहीं बचा था।
उसके उठते ही शिवाय भी उठ जाते हैं। और उस का हाथ थाम कर आगे बढ़ जाते हैं।
शिवाय की इस हरकत पर शिवन्या हैरान होकर शिवाय को देखती है। लेकिन वह सामने देख रहे थे।
अपने रुम में जाकर शिवन्या को कुर्सी पर बैठा कर वह खुद लेट जाते हैं। और शिवन्या का हाथ अपने सिर पर रख लेते हैं।
मैं अपने रूम में जा रही हूं। वह उठने को हुई।
प्लीज़ कुछ देर....
शिवन्या खामोशी से दोबारा बैठ जाती है। वैसे भी शिवाय की हालत देख कर उसे दुख हो रहा था।
श्लोका के मिलने के बाद उस की बैचैनी देख कर उसे लग रहा था कि श्लोका का ना मिलना ही उस के लिए ज़्यादा सही था। कम से कम उस के साथ श्लोका की यादें तो थी।
शिवाय आप इतना बैचैन क्यों हैं? श्लोका से मिल कर आप को खुशी नहीं हुई?
शिवन्या मन में उठ रहे सवाल को आखिर पूछ ही लेती है।
शिवाय आंख खोल कर उसे देखते हैं। और आंख बन्द कर लेते हैं।
वह देख कर हैरान रह जाती है। शिवाय की आंखें आंसुओं से भरी हुई थी। जिसे देख कर शिवन्या तड़प उठती है। वह झुक कर शिवाय के गले लग जाती है।
शिवाय के होंठ हिलते हैं। लेकिन कोई आवाज़ नहीं आती।
कितने ही पल बीत जाते हैं। शायद दोनों ही अपने दुख को भुलाना चाहते थे। दोनों के दर्द एक जैसे थे। दोनों की दवा भी एक ही थी। लेकिन फिर भी वह दो किनारों की तरह थे। जैसे लहरें किनारे से टकराती तो हैं। लेकिन रूकती नहीं हैं। वापस लौट जाती हैं।
उसी तरह यह दोनों थे। जो एक तो होना चाहते थे। लेकिन हालात दगा दे रहे थे।
शिवाय के सोते ही शिवन्या अपने रूम में चली जाती है। नींद उसकी आंखों से कोसों दूर थी। वह बिस्तर पर लेटी छत को तके जा रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या तलाश रही है। या फिर शायद वह कुछ खोने वाली थी। उसे अंदाज़ा हो गया था। कि उन का यह साथ अब ज़्यादा दिनों का नहीं है।
आप क्यों मेरी ज़िन्दगी में आये शिवाय? मेरी ज़िन्दगी तो पहले ही मुश्किल में थी आप ने उसे और मुश्किल बना दिया।
सोचते-सोचते कब उसे नींद आई। उसे पता नहीं चला।
सुबह नींद देर से खुली। वह जल्दी से बाहर गई। शिवाय बटर ब्रेड खा रहे थे।
सॉरी, नींद नहीं खुली। वह वहीं चेयर पर बैठ गई।
कोई बात नहीं चाय पिला दो। शिवाय बिल्कुल नार्मल थे।
वह उठ कर किचन में चली गई। चाय लेकर आई शिवाय के सामने टेबल पर रख कर वह उसे देखने लगी।
और फिर आगे बढ़ कर शिवाय के माथे पर प्यार करके उसे साइड हग करती है।
जारी है...
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