डोर धड़कन से बंधी | भाग 46 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 46 | Hindi Romantic Story
दोनों की आंखें भीग चुकी थीं, लेकिन उस भीगने में दर्द से ज़्यादा सुकून था।
जैसे दोनों ने अपने हिस्से की सारी तकलीफें एक दूसरे के हाथों में रख दिया हों।
और उस रात.... बारिश देर तक होती रही,
मानो आसमान भी उनके इश्क का गवाह बन कर उन्हें आशिर्वाद दे रहा हो।
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शिवाय के आफिस आते ही आदर्श उनके केबिन में आ जाते हैं।
आज शाम हम सब बाहर चलेंगे। घूमने के बाद डिनर भी बाहर ही करेंगे।
आदर्श शिवाय को बताते हैं।
ठीक है बॉस, कुछ और? शिवाय मुस्कुराए।
नहीं, डॉक्टर खन्ना की रात की फ्लाइट है। डिनर के बाद मैं और शिवन्या एयरपोर्ट चले जायेंगे। वहां से शिवन्या अपने घर चली जायेगी। और मैं वापस अपने घर....
वैसे आज चेहरे पर चमक पिछले दिनों के मुकाबले ज़्यादा है। कोई खास वजह?
आदर्श ने जानना चाहा।
उदास रहूं तो बुरा, खुश रहूं तो बुरा। शिवाय ने नाराज़गी जताई।
मेरी नज़र तुम्हारे खुफिया कैमरे से भी तेज़ है। आदर्श भी हंसे।
कल मैंने वह लम्हें पा लिए जिस की बदौलत मैं सारी ज़िन्दगी गुज़ार दूंगा। शिवाय खो गए उन लम्हों में जब वह शिवन्या के साथ थे।
अब ज़िंदगी से कोई शिकवा नहीं। वह खोए हुए ही बोले।
ज़रा सोचो अगर वही लम्हे सारी ज़िन्दगी मिल जाएं तो क्या बात है। आदर्श ने कुछ समझाना चाहा।
नहीं, फिर वह श्लोका के साथ अन्याय होगा। और किसी के साथ अन्याय कर के कोई खुश नहीं रहा है।
शिवाय सुकून से कहते हैं।
और शिवन्या? उसका क्या?
आदर्श को शिवन्या की फिक्र थी। ना जाने क्यों उन्हें श्लोका पसंद नहीं आई थी।
हमारे प्यार की डोर धड़कन से बंधी है। हम हर लम्हें साथ हैं....फिर चाहे जहां भी रहें। शिवाय एक बार फिर सुकून से कहते हैं।
मान गए गुरु....हीर-रांझा, सोहनी-माहिवाल और शीरीं-फरहाद के बाद आप का नाम ही लिया जायेगा।
आदर्श हंसे।
शिवाय भी हंस दिये। एक पुरसुकून हंसी।
ओके मैं चलता हूं, शाम को मिलते हैं। आदर्श उठ गए।
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अरे यार अब मैं थक गया हूं। अब चलो डिनर कर लेते हैं।
शिवाय चलते-चलते आदर्श से कहते हैं। कब से वह लोग मॉल में घूम रहे थे।
बूढ़े हो गए हो क्या? जो इतना जल्दी थक गए। आदर्श शिवाय के कंधे पर हाथ रख कर हंसते हुए कहते हैं।
लग तो यही रहा है। शिवाय भी हंस दिए।
इन बूढ़ों के साथ हम कहां आ गए। मुग्धा भी हंस पड़ी।
शिवन्या भी मुस्कुरा दी।
कितना सुकून है इसके चेहरे पर... शिवाय की नज़र उस पर उठी तो देखते ही रह गए।
चलें बॉस डिनर के लिए? आदर्श शिवाय को उसमें खोए देख कर पूछते हैं।
हां चलो, शिवाय हड़बड़ा गए। और आदर्श बहुत हल्के से शिवाय के कंधे पर रखे अपने हाथ को पुश करते हैं।
जो बिन कहे समझ जाए...वही तो असली दोस्त है।
....
रेस्टोरेंट की हल्की रौशनी में सब कुछ बहुत खूबसूरत लग रहा था।
क्या खिलाने वाले हो दोस्त? रेस्टोरेंट में जब बैठे काफी देर हो गई तो शिवाय ने पूछ लिया।
एक खास डिश है यहां की, बहुत फेमस है। वही आर्डर किया है।
आदर्श भी घड़ी देखने लगते हैं।
शिवन्या और मुग्धा एक तरफ बैठी थी। और आदर्श और शिवाय एक तरफ।
शिवाय की नज़र बार-बार शिवन्या पर उठ रही थी। जो मोबाइल पर किसी ड्रेस को देख कर बहुत ध्यान से मुग्धा से चर्चा कर रही थी।
आज यह चली जायेगी। आदर्श शिवाय की तरफ थोड़ा झुक कर धीरे से कहते हैं।
आदर्श के ऐसा कहते ही शिवाय को लगा जैसे उस के अंदर कुछ टूट सा गया हो। अचानक बहुत तेज़ी से शिवाय की आंख में बहुत सारा पानी आ गया।
आदर्श सिर्फ देख कर रह जाते हैं। खुद को वह बहुत मजबूर पाते हैं इस वक्त।
शिवाय रूमाल निकाल कर चेहरे पोंछ कर सामने देखने लगते हैं।
और आदर्श शिवाय को।
वेटर मुस्कुराते हुए ट्राली लेकर आते हैं।
उनके टेबल पर खाना लगने लगा था। एक के बाद एक डिश। पूरा टेबल सज चुका था।
अन्दर से एक शेफ आते हैं। और अपनी डिश तैयार करने लगते हैं।
इस लिए इतनी देर लगी थी। शिवाय डिश देख कर कहते हैं।
क्या है यह? शिवन्या हैरान हुई। उस ने नहीं देखी थी ऐसी डिश।
मैडम, यह हमारा स्पेशल Bananas Foster Flambe है।
शेफ मुस्कुराते हुए बोले।
उन्होंने चांदी जैसे चमकते बर्तन में मीठा सिरप डाला, फिर एक बोतल से पारदर्शी तरल.... और अगले ही पल....
फुफ्फ!
नीली-नारंगी लपटें हवा में नाच उठीं।
आग की वह चमक जैसे शिवन्या की आंखों में उतर गई।
हर किसी की नज़र उस डिश पर थी। मुग्धा वीडियो बना रही थी।
शेक ने दोबारा वही दोहराया। और एक बार फिर आग की लपटें बहुत तेज़ उठीं।
शिवन्या की सांसें थम गईं... पुतलियां फैल गईं...
उसके कानों में आग की सिसकारियां और किसी पुराने, दर्दनाक लम्हे की टूटी हुई तस्वीरें गूंज रही थीं।
शेफ अपना काम कर रहे थे। आग एक बार फिर बहुत तेज़ हुई।
शिवाय.....
शिवन्या की चींख पूरे हॉल में गुंज गई।
जारी है...
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