डोर धड़कन से बंधी | भाग 50 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 50 | Hindi Romantic Story

उसी दोस्ती के नाते शिवाय हमें छोड़ दें। पुलिस के हवाले ना करें। वरना हम कभी जेल से वापस नहीं आ पायेंगे। सुमन एक बार फिर गिड़गिड़ाती है।

लेकिन शिवाय जवाब देने के बजाए आगे बढ़ते हैं। और अनु का हाथ पकड़ कर बाहर निकल जाते हैं।

……

शिवाय अब तुम घर जाकर आराम करो। मैं श्लोका के पास रहूंगा। 

शिवाय के हास्पिटल पहुंचते ही सुधीर जी कहते हैं।

नहीं डैड आप घर जाएं। मैं यहीं रहूंगा। शिवाय वहीं चेयर पर बैठते हुए कहते हैं। 

शिवाय तुम थक चुके हो। कई रातों के जगे हो तुम। प्लीज़ यार तुम चले जाओ। आदर्श शिवाय से रिक्वेस्ट करते हैं।

तुम भी जाओ आराम करो। तुम भी थक गए हो। शिवाय आदर्श की बात को अनसुनी करते हुए अपनी बात कहते हैं।

और तुम जो थके हुए हो? बीमार हो गए तो? आदर्श उस के करीब जाकर कंधे पर हाथ रख कर नाराज़गी से पूछते हैं।

मेरा ध्यान रखने वाली आ गई है। शिवाय मुस्कुराए।

आदर्श उसे देखते रह गए। मुहब्बत भी क्या चीज़ है। इंसान में नई जान डाल देता है।

श्लोका को कल सुबह रुम में शिफ्ट करेंगे। आदर्श बताते हैं।

श्लोका के पास रुम में नहीं जाओगे?

आदर्श शिवाय से पूछते हैं।

जाऊंगा। पहले तुम लोगों को यहां से भेज लूं। 

चलिए अंकल हम चलते हैं। आदर्श उठ खड़े हुए।

सुधीर जी भी उठ गए। वह समझ चुके थे कि शिवाय जाने वाले नहीं हैं।

उन के जाते ही शिवाय अंदर श्लोका के पास चले जाते हैं। वह सो रही थी।  

शिवाय दूर खड़े उसे देखते रहे। वह यह यकीन कर लेना चाहते थे कि यह श्लोका ही है।

और फिर वह उसके करीब जाकर चेयर पर बैठ जाते हैं। और उसे देखने लगते हैं।

शिवाय थक चुके थे। बरसों की थकन थी। जो आज महसूस हो रही थी। वह श्लोका की बेड पर अपना सिर रख कर आंख बन्द कर लेते हैं।

श्लोका को आहट होती है। वह करवट होकर शिवाय को एक नज़र देखती है। और बहुत धीरे से शिवाय के ऊपर हाथ रख लेती है।

श्लोका के ऐसा करते ही शिवाय के होंठ हिलते हैं श्लोका……

शिवाय आंख बन्द किये वैसे ही लेटे रहे। थोड़ी ही देर में शिवाय गहरी नींद में सो चुके थे।

उसी वक्त एक नर्स शिवाय के करीब आकर उनको बाहर जाने के लिए कहने ही जा रही थी। उसी वक्त एक डॉक्टर इशारे से नर्स को मना कर देते हैं। नर्स मुस्कुरा कर दूसरी तरफ चली जाती है।

शिवाय और श्लोका दोनों सोए रहे।

……

श्लोका को रूम में शिफ्ट कर दिया गया था। पूरा परिवार वहीं पर था। उसी वक्त डॉक्टर खन्ना भी आ गए। 

मेरी बेटी को परिवार मिल गया तो मुझे भूल ही गई। डॉक्टर खन्ना रूम में आकर मुस्कुरा कर शिकायत करते हैं। और वहीं पर रखी चेयर पर बैठ जाते हैं।

आप ही की वजह से आज मैं यहां अपने परिवार के साथ हूं अंकल……आप को कैसे भूल सकती हूं। श्लोका मुस्कुरा कर कहती है।

सही कह रही है श्लोका, आप ने इसे नया जीवन दिया है। सुधीर जी भी मुस्कुरा कर कहते हैं।

जब हास्पिटल में इस का केस मेरे सामने आया। तो ना जाने क्यों कुछ देर मैं इसे यूं ही देखता रहा। यह बेहोश थी। इसका चेहरा जला हुआ था। इस के बाल भी जगह-जगह से जल चुके थे। लेकिन फिर भी मैं इस में पता नहीं क्या तलाशता रहा। डॉक्टर खन्ना ने कहना शुरू किया।

हर कोई उन की बात बहुत ध्यान से सुन रहा था। 

मैंने इस का केस अपने अंडर में लिया। और इलाज शुरु कर दिया। इसे ढूंढ़ते हुए कोई नहीं आया। कितने ही दिन यह हास्पिटल में रही। इस के चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी हुई। इस के बाल पूरे काट दिए गए। 

जब यह बिल्कुल ठीक हो गई तो मैं इसे अपने साथ ले लाया।

यह खामोश ही रहती थी। अक्सर आसमान पर यूं ही तका करती। यूं जैसे कुछ ढूंढ रही हो।

मैंने इस से बहुत कुछ जानना चाहा। घर-परिवार, पति-बच्चे…लेकिन यह मेरी बात पर हैरानी से मुझे देखती रहती। तब मैंने इसे समझाया कि तुम्हारी याददाश्त चली गई है। इस लिए पुरानी बातें तुम को याद नहीं है। लेकिन बहुत जल्द तुम को सब याद आ जायेगा।

मैंने यह कह कर इसे तसल्ली तो दे दी। लेकिन मुझे खुद भी नहीं पता था कि इस की याददाश्त कब वापस आयेगी, और आयेगी भी नहीं। 

आप ने इसका नाम शिवन्या क्यों रखा? आदर्श अपने मन में चल रहे सवाल को पूछ ही लेते हैं।

आदर्श के सवाल पर हर कोई डॉक्टर खन्ना को देखने लगता है। क्योंकि इस बात का जवाब हर किसी को जानना था।

हादसे के बाद जब यह मेरे पास आई थी तो इसकी हथेली पर मेहेंदी से एक छोटा सा दिल बना हुआ था, और उस दिल में S बना हुआ था। मुझे नहीं पता था कि उस S का क्या मतलब है। लेकिन फिर भी मैं इस का नाम S से रखना चाहता था।

एक दिन मैं फोन देख रहा था। तभी मेरे सामने एक रील में शिवन्या नाम आया, मुझे नाम अच्छा लगा, और उसी वक्त मैंने इस का नाम शिवन्या रख दिया।

सच में बहुत प्यारा नाम है। सुधीर जी मुस्कुरा कर कहते हैं।

आदर्श शिवाय को देखते हैं जो दूर बैठा खामोशी से सब सुन रहा था। इस की मुहब्बत बिल्कुल अलग है, श्लोका के मिलने के बावजूद यह हर वक्त उससे चिपका नहीं रहता। तन्हाई में भले करीब हो जाता, लेकिन सब के सामने मर्यादा में रहता। यही तो इस की खूबी है। आदर्श सोचते हुए मुस्कुरा दिए। 

क्या हुआ? उसकी मुस्कुराहट देख कर शिवाय आंख और भौं से इशारे से पूछते हैं।

कुछ नहीं। आदर्श भी उसी तरह जवाब देते हैं।

उसी वक्त कोई दरवाज़ा नॉक करता है। और फिर जो अंदर आता है, उसे देख कर श्लोका हैरान रह जाती है। राजवीर……

तुम यहां कैसे? श्लोका हैरानी से पूछती है। 

तुम्हारा प्यार खींच लाया। राजवीर उससे गले लग कर कहते हैं। श्लोका बहुत कुछ जानना चाहती थी। लेकिन वह खामोश रही।

जब कई महीने हो गए और राजवीर के एकाउंट में पैसे नहीं पहुंचे। तो यह गांव गया। वहां तुम नहीं मिली। वहां से इसे मेरा एड्रेस मिला। यह हमारे घर पर आया। बहुत गुस्से में था। जैसे ही मैंने इसे तुम्हारे एक्सीडेंट और खो जाने की बात बताई। यह रोने लगा। इसकी मुहब्बत जाग गई।

पिता की मौत और बहन के ना मिलने पर इस का दिल बदल गया। यह एक अच्छा इंसान बन गया है। शहर में इस ने अपना काम भी शुरू कर दिया है। और साथ ही साथ यह गांव का भी सब कुछ देख रहा है। जैसे तुम देखती थी।

सुधीर जी श्लोका से कहते हैं। जिसे सुनकर उसकी आंख में आंसू आ जाते हैं। उस के रहते जो ना सुधरा, उसके जाने पर वह सुधर गया।

श्लोका की नज़र शिवाय पर उठती है। शिवाय आंखों ही आंखों में उसे तसल्ली देते हैं।

अब शादी कब होगी? हेमंत सोचते हुए पूछते हैं।

शादी अपने टाइम पर होगी। जो फाइनल है। आदर्श शिवाय को देख कर कहते हैं।

यानी कल? हर कोई हैरानी से पूछता है। और हर नज़र शिवाय पर उठ जाती है।

और फिर हर कोई हंस पड़ता है। 

उसी वक्त एक लड़की नॉक करके कमरे में आती है। जिसे  कोई हैरानी से देखता है तो कोई खुशी से।

श्लोका की आंखे खुशी से फैल जाती हैं, अनु……

अनु दौड़ कर उसके गले लग जाती है।

तुम यहां कैसे?

श्लोका हैरानी से पूछती है।

तुम्हारी शादी अटेंड करने आई हूं। अनु खुशी से कहती है। शिवाय ने अनु को पहले ही बोल दिया था कि अभी श्लोका को अपने यहां होने की वजह मत बताना।

वह दोनों बातें करने लगीं।

अब हम लोग चलते हैं। श्लोका अब आराम करेगी। सुधीर जी उठ गए। उन के उठते ही हर कोई उठ गया।

चलती हूं भाभी, अराध्या श्लोका के गले लग कर खुशी से कहती है। और श्लोका शर्मा जाती है।

चलती हूं बेटा, शादी की बाकी तैयारियां देख लूं। जल्दी से तुम बहू बनकर हमारे आंगन में आओ। ममता जी प्यार से कहती हैं।

शिवाय के अंदर तक सुकून उतर आया था। बरसों से उसका तरसा हुआ दिल आज हर खुशी पा गया था।

जारी है...

डोर धड़कन से बंधी भाग 49

डोर धड़कन से बंधी भाग 51









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