डोर धड़कन से बंधी | भाग 51 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 51 | Hindi Romantic Story

शिवाय के अंदर तक सुकून उतर आया था। बरसों से उसका तरसा हुआ दिल आज हर खुशी पा गया था। 

मैं भी निकलूं फिर? मुग्धा को कुछ शापिंग करनी थी। उस के साथ जाना है।

आदर्श शिवाय के करीब आए।

हां ठीक है जाओ। शिवाय उठ खड़े हुए।

तुम भी आराम करो। कल तुम्हारी शादी है। आदर्श श्लोका को देखकर शिवाय से कहते हैं।

हूं, शिवाय मुस्कुराए।

शादी के बाद हम इंडिया चले जायेंगे। शिवाय श्लोका को देख कर कहते हैं।

ठीक है फिर मैं भी वहीं शिफ्ट हो जाता हूं। आदर्श ने नार्मली कहा।

तुम क्यों चलोगे? तुम यहां रहो। शिवाय हैरान हुए।

क्योंकि मैं चाहता हू कि मेरा बच्चा अपने देश में जन्म ले। आदर्श अपनी मुस्कान छुपा कर कहते हैं।

क्या सच में……शिवाय उसकी बात सुन कर खुश हुए, लेकिन इंडिया जाने की बात हैरान किए हुए थे।

हां, मैं अब तुम्हारे बिना नहीं रह सकता शिवाय, मुझे तुम्हारी आदत हो गई है। 

मुग्धा भी यही चाहती है। आदर्श खुशी से कहते हैं।

शिवाय हैरानी से आदर्श को देखते हैं। और फिर उसे गले लगा लेते हैं।

कितनी ही देर दोनों गले लगे रहे। श्लोका अपनी बेड पर बैठी दोनों दोस्तों की मुहब्बत को देख रही थी।

आता हूं फिर……आदर्श शिवाय से अलग हुए।

हां ठीक है, श्लोका मुस्कुरा कर कहती है।

थक गई होगी, लेट जाओ। आदर्श के जाते ही शिवाय श्लोका से कहते हैं। और वहीं उस की बेड पर किनारे टिक कर बैठ जाते हैं।

आप भी थक गए हैं, आप भी आराम कर लें।

थक तो मैं बहुत गया हूं। कहते ही शिवाय पास में रखी तकिया पर सिर रख कर आंख बन्द कर लेते हैं।

श्लोका बहुत धीरे से शिवाय के सिर पर अपना हाथ रखती है। श्लोका के ऐसा करते ही शिवाय की आंखों में बरसों का जमा दर्द आंसू के रूप में बाहर आ जाता है।

श्लोका से वह आंसू छिप ना सके। लेकिन वह खामोश रही। वह चाहती थी शिवाय का हर दर्द बाहर आ जाए। 

थोड़ी ही देर में शिवाय सो चुके थे। श्लोका बहुत देर उसके पास बैठी रही। फिर उठ कर वह शिवाय के ऊपर कम्बल डाल कर दूसरी बेड पर जाकर सो जाती है।

❤️

ऐसे क्या देख रहे हैं? श्लोका शिवाय को खुद को देखता पाकर हैरानी से सवाल करती है। जो उस के पास लेटा हुआ था। और एक टिक उसे देखे जा रहा था।

हमारी शादी हो चुकी है। यह यकीन कर लेने दो।

यकीन कर लें शिवाय हमारी शादी हो चुकी है। श्लोका बहुत प्यार से शिवाय का हाथ थाम कर कहती है।

तुम्हें पता है श्लोका मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे इस तरह सुकून मिलेगा। उसकी आंखो में आज वह सुकून था जो बरसों से गायब था।

शिवाय ने श्लोका की ओर झुक कर उसके माथे पर एक गहरा, सुकून भरा चुम्बन दिया।

श्लोका की आंखें नम हो गईं।

तुम्हें पता है श्लोका…जब भी मैं आंखें बन्द करता था, बस तुम्हारा ही चेहरा सामने आता था। लेकिन आज…अब जब तुम सचमुच मेरे साथ हो, तो जैसे लगता है ख्वाब हकीकत बन गया हो।

शिवाय ने धीमी आवाज़ में कहा।

श्लोका की पलकों पर नमी उतर आई। उसने हल्की मुस्कान के साथ शिवाय की उंगलियों को कस कर थाम लिया। और अब यह ख्वाब कभी टूटेगा नहीं…क्योंकि अब हम सच में एक हो गए हैं।

शिवाय एक बार फिर झुक कर श्लोका के माथे को अपने होठों से छूते हैं। उस स्पर्श में इतनी गहराई थी कि श्लोका की सांसें थम से गईं।

उसने आंखें मूंद लीं और बस उस पल को जीने लगी।

शिवाय ने उसके चेहरे को अपनी हथेलियों से थाम लिया। अब तुम्हारे बिना कुछ भी अधूरा है श्लोका। मैं हर सुबह तुम्हारी मुस्कान के साथ जीना चाहता हूं, और हर रात तुम्हारी बांहों में सुकून पाना चाहता हूं।

श्लोका की आंखें भीग गईं। उसने धीरे से अपना सिर शिवाय के सीने पर रख दिया।

तो वादा करो चाहे जितनी भी मुश्किलें क्यों ना आएं, हम साथ रहेंगे। कभी हार नहीं मानेंगे।

शिवाय ने उसे अपनी बाहों में कस लिया,वादा है…अब हमारी धड़कनें एक दूसरे से बंध चुकी हैं। इन्हें कोई जुदा नहीं कर सकता।

कमरे में सन्नाटा था, पर दोनों की दिलों की धड़कनें मानो एक मधुर राग बना रही थीं।

खिड़की से आती हल्की हवा परदे हिला रही थी और वो पल, दोनों की ज़िंदगी का हसीन लम्हा बन चुका था।

……

सुबह की पहली किरण खिड़की से होकर कमरे में आई। हल्की सी धूप श्लोका के चेहरे पर पड़ी तो वह नींद से करवट बदलने लगी।

शिवाय पहले से जाग चुके थे और बिना पलक झपकाए उसे देखे जा रहे थे।

उनकी आंखों में आज एक अलग ही सुकून था।

जिसके लिए तरसते रहे थे, वह आज उनके पास, उनकी बाहों में थी।

श्लोका ने उनींदी आंखें खोलीं और जैसे ही देखा शिवाय उसे निहार रहे हैं, तो वह हल्का सा शर्मा कर मुस्कुराई।

ऐसे क्या देख रहे हैं? उसने धीमे स्वर में कहा।

शिवाय मुस्कुराए और उसकी उंगलियों को अपने हाथों में कैद कर लिया।

बस यह यकीन कर रहा हूं कि तुम सच में मेरी ज़िन्दगी का हिस्सा बन चुकी हो।

अब हर सुबह ऐसे ही तुम्हें देख कर जीना चाहती हूं।

श्लोका की आंखें नम हो गईं। उसने धीरे से शिवाय के हाथ पर अपना हाथ रखा।

तो यह यकीन कर लो शिवाय… हमारी शादी हो चुकी है, और अब मैं आप की हूं…हमेशा के लिए।

शिवाय ने उसका हाथ अपने दिल पर रखा और धीरे से बोले, यह धड़कन अब सिर्फ तुम्हारे नाम से चलती है श्लोका। अगर कभी यह रुक भी गई… तो बस तुम्हारा नाम आखरी सांस में होगा।

जारी है...

डोर धड़कन से बंधी भाग 50

डोर धड़कन से बंधी भाग 52













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