डोर धड़कन से बंधी | भाग 52 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 52 | Hindi Romantic Story

शिवाय ने उसका हाथ अपने दिल पर रखा और धीरे से बोले, यह धड़कन अब सिर्फ तुम्हारे नाम से चलती है श्लोका। अगर कभी यह रुक भी गई… तो बस तुम्हारा नाम आखरी सांस में होगा।

और अगर तुम्हारी धड़कन कभी रूक भी गई, तो मैं उसे अपनी धड़कनों से ज़िंदा रखूंगी।

शिवाय उस पर झुक जाते हैं... एक प्यारा सा एहसास था उस चुम्बन में, एक प्यारा सा वादा, प्यार अपनापन और हमेशा साथ निभाने का।

श्लोका ने आंखें बन्द कर ली और उसके सीने पर अपना सिर रख लिया।

दोनों की धड़कनें एक ताल में चल रही थीं।

वो धड़कनें जैसे एक दूसरे से कह रही थीं… अब कोई दूरी नहीं अब कोई दर्द नहीं।

कमरे का सन्नाटा भी आज गवाह था, कि दो रूहें अब सच में एक-दूसरे से बंध चुकी हैं।

… 

नई जिंदगी की नई सुबह मुबारक।

जैसे ही वह दोनों रुम से बाहर आए। आदर्श ने ऊंची आवाज़ से कहा। और बाकी लोग तालियां बजाने लगे।

शिवाय और श्लोका हैरानी से सब को देखते हैं।

आज हम सब साथ में नाश्ता करेंगे। आदर्श शिवाय के करीब आकर उनके कंधे पर हाथ रख कर कहते हैं।

सनी…तभी अंदर से सनी आता है जिसे देखकर श्लोका दौड़ कर उसे गले लगा लेती है।

अब से सनी हमारे साथ रहेगा। शिवाय सनी को गले लगाकर कहते हैं।

नहीं यह मेरी ज़िम्मेदारी है। यह मेरे साथ रहेगा। डॉक्टर खन्ना तुरंत बात क्लियर कर देते हैं।

लेकिन… शिवाय कुछ कहते-कहते रुक गए।

यह सच है कि सनी श्लोका को मौम कहता है। लेकिन मैंने इसे यह बात बहुत पहले ही समझा दी थी कि यह तुम्हारी मां नहीं हैं।

जब मुझे श्लोका और सनी मिले तो मुझे ऐसा लगा, मेरे बच्चे मुझे वापस मिल गए। मेरी बीवी और दोनों बच्चों की एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई थी।

डॉक्टर खन्ना उदासी से कहते हैं। 

तब से आप अकेले हैं? शिवाय को उन की फैमिली का सुन कर बहुत दुख हुआ।

हां, तब से मैं अकेला था। और मैंने सोच लिया था कि मैं अकेले ही ज़िन्दगी गुज़ार दूंगा। फिर मेरी ज़िन्दगी में श्लोका और सनी आ गए। और मैं इन में ज़िन्दगी तलाशने लगा। तभी मुझे गांव जाना पड़ गया। वहां पर मुझे एक लेडी मिलीं सविता। सविता की तीन बेटियां है। उन के हस्बैंड की एक बीमारी में डेथ हो गई थी। उन की ज़िंदगी का जान कर मैंने तुरंत एक फैसला लिया। और मैंने उन से शादी कर ली।

वहां गांव में मैंने अपने घर के एक हिस्से मे हास्पिटल बनाने का सोचा। जो कि अब बन रहा है। मैं अब बाकी ज़िन्दगी गांव में सुकून गुज़ारूंगा। पैसा मैंने बहुत कमा लिया है। अब सिर्फ सुकून चाहिए।

यह तो बहुत अच्छी बात है। उन की बात सुनकर सुधीर जी खुशी से कहते हैं।

हां अब मैं अपनी तीन बेटियों और बेटा सनी और बीवी के साथ गांव में रहूंगा। वहां पर उन लोगों का पेपर बन रहा है। जैसे ही पेपर रेडी होगा। वह लोग यहां आएंगी। फिर हम सब साथ में घूम कर वापस इंडिया जाकर अपने गांव शिफ्ट हो जायेंगे। डॉक्टर खन्ना खुशी से बताते हैं।

बातें तो होती रहेंगी। ब्रेकफास्ट कर लिया जाए। अमोल जल्दी से कहता है जिसके पेट में अब चूहे कूदने लगे थे।

आज रात हम लोग भी निकल रहे हैं। बहुत जल्द श्लोका और शिवाय भी इंडिया हमारे साथ होंगे। नाश्ता करते हुए हेमंत खुशी से कहते हैं।

आदर्श भी इंडिया आ रहा है। शिवाय आदर्श को देखकर खुशी से कहते हैं।

क्या सच में? सुधीर जी हैरान हुए। क्योंकि आदर्श को सिंगापुर बहुत पसंद था।

अगर शिवाय यहां रहता तो मैं शायद ना जाता। आदर्श जल्दी से कहते हैं।

तुम्हारे पैरेंट्स तो बहुत खुश होंगे। सुधीर जी ने जानना चाहा।

मेरी खुशी से बढ़ कर उन के लिए कभी कुछ नहीं रहा। लेकिन मेरे इस फैसले से वह सबसे ज़्यादा खुश हैं। मां-बाप अपने बच्चों की खुशी के लिए अपनी खुशी कुर्बान कर देते हैं। लेकिन हम बच्चे हमेशा मेरी खुशी मेरी मर्ज़ी करते रहते हैं, यह जाने बिना कि मां-बाप की भी कोई इच्छा कोई शौक हो सकता है।

आदर्श उदासी से कहते हैं।

मतलब हम चार से पांच होने वाले हैं? रवि माहौल को देखते हुए जल्दी से कहते हैं।

बिल्कुल, मैं भी आप दोस्तों की टीम में शामिल होने वाला हूं।

आदर्श खुशी से कहते हैं।

खूब जमेगी…जो मिल बैठेंगे हम यार पांच। रवि हंस कर कहते हैं। और उस की बात पर हर कोई हंस पड़ता है।

भाभी अच्छे से खाइये। अराध्या श्लोका के प्लेट में पराठा रख कर कहती है।

मैं अच्छे से खा रही हूं। श्लोका मुस्कुरा कर कहती है।

श्लोका तुम घर आकर अपने कपड़े वगैरह ले आना।

डॉक्टर खन्ना चाय पीते हुए श्लोका से कहते हैं।

कपड़े मतलब जींस टॉप? शिवाय डॉक्टर खन्ना की तरफ देखते हैं। और फिर श्लोका की तरफ देखते हैं। जो सिल्क की साड़ी में बहुत ही प्यारी लग रही थी।

क्यों अब यह जींस टॉप नहीं पहनेंगी? डॉक्टर खन्ना हैरानी से पूछते हैं।

पहनेगी…जब मैं श्लोका से बोर हो जाऊंगा तो शिवन्या के पास चला जाऊंगा। शिवाय अपनी मुस्कान छुपा कर कहते हैं। 

और फिर सब लोग बहुत ज़ोर से हंस पड़ते हैं।

श्लोका इंडिया आते ही राजवीर के लिए भी लड़की देखना शुरू करो। हमें इसकी भी जल्द से जल्द शादी करनी है। सुधीर जी राजवीर को देखकर श्लोका से कहते हैं।

लड़की तो सामने है देखने की क्या ज़रूरत है। राजवीर तुरंत जवाब देता है। लेकिन जवाब देकर वह पछता रहा था। लेकिन बात मुंह से निकल चुकी थी। अब क्या हो सकता था।

कौन है लड़की? श्लोका हैरानी से पूछती है। और हर कोई राजवीर को देखने लगता है।

अनु… अगर इस को ऐतेराज़ ना हो तो… राजवीर अनु की तरफ इशारा करता है। जो उसे ही देख रही थी।

क्या?? श्लोका की चींख निकल जाती है। 

बोलो अनु क्या कहती हो? श्लोका को अपनी ननद बनाओगी? शिवाय मुस्कुरा कर अनु से पूछते हैं।

यह फैसला मेरे घर वाले लेंगे। अभी मैं कुछ नहीं कह सकती। लेकिन मुझे यह जालिम ननद पसंद है।

अनु की बात पर हर कोई हंस पड़ता है। माहौल एक बार फिर खुशगवार हो चुका था।

हर कोई बातों में बिज़ी था।

श्लोका अनु के साथ बैठी बातों में बिज़ी थी। राजवीर के फैसले से वह खुश थी। उसके परिवार की बागडोर एक समझदार लड़की के हाथों में रहेगी। उसे अपने भाई और घर की तरफ से इत्मीनान हो गया। सुकून उस के हर अंदाज़ से झलक रहा था।

कैसी रही शादीशुदा ज़िंदगी? आदर्श शिवाय के बगल में बैठ कर धीमी आवाज़ में पूछते हैं।

सपने जैसी... शिवाय श्लोका की तरफ देखते हैं और मुस्कुरा कर धीरे से कहते हैं।

तुम्हारी यह सपनों वाली ज़िंदगी हमेशा खूबसूरत रहे।

आदर्श बहुत प्यार से शिवाय के हाथ पर अपना रखते हैं और कहते हैं।

हर कोई खुश था…हर चेहरे पर रौशनी थी।

जैसे तकदीर ने सबके हाथों में अपने रंग भर दिये हों।

रिश्तों की डोर अब और मज़बूत हो चुकी थी,

धड़कनों की ताल अब सिर्फ मुहब्बत का गीत गा रही थी।

यह सफर अब सिर्फ उनका नहीं, बल्कि उन सब का था जो साथ चलने को तैयार थे।

और उस ने मानो कह दिया हो…

अब न कोई दूरी रहेगी,

न कोई दर्द… 

बस एक नया सवेरा,

जो हमेशा प्यार और साथ से जगमगाता रहेगा।

जारी है…

डोर धड़कन से बंधी भाग 51

डोर धड़कन से बंधी भाग 53









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