डोर धड़कन से बंधी भाग 56 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 56 | Hindi Romantic Story
हां शिवाय वह अच्छी लड़की नहीं है। वरना अपने बेटे की पसंद को मैं खुशी-खुशी उस की ज़िन्दगी में शामिल कर देती।
ऐसा तो मुझे लगा ही नहीं, मुझे दुख तो इस बात का था कि मेरे बेटे ने एक बार भी उस लड़की का ज़िक्र हम से नहीं किया।
अब हम क्या करेंगे। शिवाय को दूसरी फिक्र हुई।
मैं तो यह सोच रही हूं… अब वह क्या करेंगे? श्लोका परेशानी से कहती है।
उसी वक्त दरवाज़े पर नॉक होता है। आ जाओ… श्लोका शिवाय से अलग होकर कहती है।
पूजा बेटा तुम इस वक्त क्या हुआ? शिवाय हैरानी से उसे देखते हुए पूछते हैं।
भाई की वजह से आप लोग परेशान हैं ना? परेशान मत हों, सब ठीक हो जाएगा।
आप लोग चेंज करें, और आराम करें। पूजा जल्दी-जल्दी श्लोका की ज्वेलरी उतारने लगती है। बेटियां तो मां-बाप का मान होती हैं। शिवाय के कान में आदर्श के कभी के कहे हुए अल्फाज़ गूंजते हैं।
डैड आप भी चेंज करें। वह शिवाय का कोट उतार कर अलमारी में रखते हुए कहती है।
श्लोका चेंज करने अंदर चली जाती है। और शिवाय वहीं बैठ कर पूजा को देखने लगते हैं जो श्लोका की ज्वेलरी को टेबल पर ठीक से रख रही थी।
ऐसे क्या देख रहे हैं डैड? पूजा हैरानी से पूछती है।
अपनी पूजा को… जो कब इतनी बड़ी हो गई कि अपने मौम डैड को सम्भालने लगी। वह मुस्कुरा कर कहते हैं।
पूजा दौड़ कर शिवाय के गले लग जाती है। आप लोग तो हमेशा मुस्कुराते रहते हैं। यूं उदास आप लोग अच्छे नहीं लगते।
और फिर दोनों ही मुस्कुरा दिए।
जाओ आराम करो, तुम भी थक गई हो।
श्लोका के चेंज करके आते ही शिवाय कहते हैं, और अंदर चेंज करने चले जाते हैं।
सुबह नाश्ते की टेबल पर हर कोई नार्मल था। नाश्ता करते हुए हर कोई बातें कर रहा था।
प्रेम भी लंदन की बातें बता रहा था। बीच-बीच में काजल भी बोल रही थी। श्लोका और शिवाय मुस्कुरा कर उन की बातें सुन रहे थे।
नाश्ता करते ही शिवाय आफिस के लिए निकल गए। कई सारे ज़रूरी काम थे जो उन्हें आज करने थे।
आफिस पहुंचे तो देखा आदर्श पहले से ही उनका इंतेज़ार कर रहे थे।
शिवाय का हाथ पकड़ कर आदर्श सोफे के पास जाते हैं, शिवाय को बैठाकर खुद भी बैठ जाते हैं।
कुछ मत सोचो, जो हो रहा है होने दो…आदर्श ने बात शुरू की।
हूं, शिवाय के पास शायद अल्फाज़ नहीं थे।
प्रेम बहुत जल्द कुछ ऐसी डिमांड करेगा जो तुम शायद पूरा ना कर पाओ। तो उसके लिए खुद को तैयार कर लो। आदर्श ने अपनी बात जारी रखी।
क्या मतलब? पहले श्लोका और अब आदर्श…
काजल उस की जान है और अपनी जान के लिए कोई कुछ भी कर सकता है। समझ रहे हो ना मेरी बात? तुम खुद को उन दोनों की शादी के लिए तैयार कर लो। यही सही रहेगा। आदर्श खुल कर बोले।
और अगर मैं उन की शादी के लिए तैयार ना हुआ तो? शिवाय के मन में भी कुछ चल रहा था।
तुम को राज़ी होना ही पड़ेगा शिवाय…यह बात खुद को समझा लो। यही तुम्हारे परिवार के लिए सही रहेगा। एक बात और…आदर्श रूके।
अपनी पूजा को मेरी बेटी बना दो। पूजा के जन्म से ही मेरे मन में यह बात चल रही थी। लेकिन मैंने कभी कही नहीं। लेकिन अब मुझे लगता है कि वक्त आ गया है। इस लिए मैं तुम से कह रहा हूं।
मेरे बेटे आरव की ज़िन्दगी में कोई नहीं है, और तुम्हारी पूजा की भी ज़िंदगी में कोई नहीं है। मेरे आरव को इस रिश्ते पर कोई ऐतराज नहीं है तुम पूजा से पूछ लो। और सब से अहम बात…मुझे तुम्हारा हर फैसला मंजूर है फिर चाहे वह जो भी हो। आदर्श बहुत इत्मीनान से कहते हैं।
और अगर मैंने मना कर दिया तो…शिवाय भी सिरियस थे।
तो भी वह मेरी बेटी तो है ही…तुम्हारे साथ मैं उसे खुशी-खुशी विदा कर दूंगा। तुम तो जानते हो, मुझे हमेशा बेटी चाहिए थी। उसी इंतेज़ार में तीन बेटे हो गए।
मेरी बेटी पूजा तुम्हारी बहू बनेगी या नहीं यह तो पूजा के जवाब के बाद ही फाइनल होगा। लेकिन मेरी तरफ से इस रिश्ते के लिए हां है। मुझे यकीन है मेरी बेटी का मुझ से ज़्यादा ध्यान तुम रखोगे।
कहते हुए शिवाय आदर्श के हाथ पर अपना हाथ रखते हैं।
बेटियां प्यारी बहुत होती हैं। तुम्हारी यह बात मुझे समझ में आ गई हैं। शिवाय कह कर मुस्कुराए।
आदर्श भी मुस्कुरा दिए।
आज मिड नाईट कॉफी साथ में पीते हैं। शिवाय कुछ सोच कर कहते हैं।
ठीक है आ जाऊंगा।
♥️
बात तो सिर्फ कॉफी की हुई थी, लेकिन यह इतना सारा सब कुछ?
आदर्श हैरानी से कहते हैं।
बात भी तो खास है…मैं अपनी बेटी पूजा का रिश्ता तुम्हारे बेटे आरव से कर रहा हूं।
शिवाय कहते ही उठ खड़े होते हैं। आदर्श भी तुरंत उठ खड़े होते हैं, और दोनों गले लग जाते हैं।
उन की मुहब्बत देखकर हर कोई मुस्कुरा देता है।
शादी कब करोगे? शिवाय आदर्श से पूछते हैं।
जब तुम कहो…आदर्श मुग्धा को एक नज़र देखकर कहते हैं।
अगले हफ्ते कर लिया जाए? शिवाय बड़े इत्मीनान से पूछते हैं।
अगले हफ्ते मुग्धा हैरानी से पूछती है।
हां, अगले हफ्ते…
ठीक है मंज़ूर है। आदर्श तुरंत फैसला लेते हैं।
अगले हफ्ते का मतलब है दो दिन बाद से रस्में शुरू करनी होंगी।
मुग्धा परेशानी से कहती है।
कोई बात नहीं सब हो जायेगा। आदर्श तुरंत कहते हैं।
सही रहेगा ना डैड? शिवाय सुधीर जी की तरफ देखते हुए पूछते हैं।
सुधीर जी मुस्कुरा कर अंगूठा दिखाते हैं।
कल से तैयारियां शुरू कर दो। शिवाय श्लोका को देख कर कहते हैं।
बच्चों को यह खुशखबरी सुना दिया जाए। कहते ही शिवाय उठ कर बाहर चले जाते हैं।
आदर्श भी उठ कर शिवाय के पीछे-पीछे चले जाते हैं।
इतना जल्दी यह फैसला? बात समझ नहीं आई। पूजा की मर्ज़ी है ना इस फैसले में?
आदर्श परेशानी से पूछते हैं।
हां, मैंने पूजा से बात कर ली है। और रही इतना जल्दी शादी की बात…
शादी तो करना ही था आज नहीं तो कल…तो फिर आज ही क्यों नहीं।
शिवाय लॉन में टहलते हुए कहते हैं।
कोई टेंशन? आदर्श ने जानना चाहा।
पता नहीं कुछ समझ नहीं आ रहा। लेकिन मन उदास है। शिवाय सोचने वाले अंदाज़ में कहते हैं।
सब ठीक हो जायेगा। टेंशन मत लो। आदर्श एक बार फिर शिवाय के गले लगते हैं।
जारी है…
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