डोर धड़कन से बंधी | भाग 57 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 57 | Hindi Romantic Story
पता नहीं कुछ समझ नहीं आ रहा। लेकिन मन उदास है। शिवाय सोचने वाले अंदाज़ में कहते हैं।
सब ठीक हो जायेगा। टेंशन मत लो। आदर्श एक बार फिर शिवाय के गले लगते हैं।
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शादी की रस्में शुरू हो चुकी थी। शिवाय और श्लोका दूर बैठे सब देख रहे थे।
हल्दी की रस्म हो गई शिवाय…तीन दिन बाद हमारी बेटी विदा हो कर ससुराल चली जायेगी।
श्लोका सामने बैठी पूजा को देख कर कहती है।
मानो कल की बात हो… जब हमारी शादी हुई थी। और देखो आज हमारी बेटी की शादी हो रही है। वक्त बहुत जल्दी बीत गया।
शिवाय की आंखें भीग गईं। उन्होंने श्लोका का हाथ थामते हुए कहा।
सच कहती हो…कल ही तो बात लगती है। तुम दुल्हन बनी मेरे सामने आई थी।
और आज… हमारी बेटी उसी राह पर चल पड़ी है।
हां, अब वो भी अपने नए जीवन की शुरुआत करेगी। बस यही दुआ है कि उसकी ज़िन्दगी खुशियों से भर जाए।
इतना कहते-कहते श्लोका की नज़र एक बार फिर पूजा पर पड़ी, जो अपने दोस्तों के साथ हंसते हुए बातें कर रही थी।
श्लोका के दिल में एक सुकून था, लेकिन साथ ही एक खालीपन भी…
कैसे जी पाएंगे उसके बिना? घर कितना सूना लगेगा…
अरे,अभी से क्यों सोच रही हो? अभी तीन दिन तो हमारे पास हैं, इन पलों को जी भर कर जी लो… फिर यादों में संजोकर रख लेना।
शिवाय ने हल्की हंसी में कहा, लेकिन दिल तो उनका भी उदास था।
दोनों की आंखें मिलीं और दोनों ने एक-दूसरे के दर्द को बिना कहे समझ लिया।
पूजा रस्मों के बाद जैसे ही शिवाय और श्लोका के पास आई, श्लोका ने उसे बाहों में भर लिया।
बहुत प्यारी लग रही हो…श्लोका ने रूआंसी आवाज़ में कहा।
मौम… प्लीज़, अभी से मत रोइए। आपकी मुस्कान ही मेरी सबसे बड़ी ताकत है।
सही कह रही है हमारी बिटिया। रोने का वक्त बाद में आयेगा, अभी तो मुस्कुराने का समय है।
बस दुआ यही है कि तेरा घर-आंगन हमेशा हंसी-खुशी से भरा रहे। श्लोका ने आंखें पोंछते हुए पूजा के माथे को चूमा।
और मैं हमेशा आप की दुआओं में बसी रहूं मां… कहते ही पूजा श्लोका को गले लगा लेती है।
…
तीन दिन पंख लगा कर उड़ गए।
शादी की सारी रस्में हंसी-खुशी पूरी हुईं।
अब वो घड़ी आ गई थी जिसका नाम सूनते ही हर मां-बाप का दिल कांप उठता है… विदाई।
पूजा दुल्हन के लिबास में सजी थी। आंखों में आंसू और होंठों पर मुस्कान थी।
लेकिन दिल में हलचल मची थी।
शिवाय और श्लोका सामने खड़े थे, मानो वक्त को रोक लेना चाहते हों।
पूजा के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। वह कभी मां से लिपटती, कभी पापा का हाथ थाम लेती।
शिवाय की आंखों से भी आंसू ढलक पड़े, जिन्हें वह अब तक छुपाए हुए थे।
आपकी बिटिया हमेशा आप की रहेगी डैड…
पूजा एक बार फिर रोते हुए डैड से लिपट जाती है।
आदर्श दूर खड़े विदाई का मंज़र देख रहे थे। करीब आने की उनके अंदर हिम्मत नहीं थी, लेकिन शिवाय के आंसू देखकर वह खुद को रोक नहीं पाए।
शिवाय के करीब जाकर वह खामोशी से कंधे पर हाथ रखते हैं। कहने के लिए शायद इस वक्त कुछ नहीं था।
ढोलक की आवाज़ गूंज रही थी।
पलकों पर भरे आंसुओं के बीच रिश्तेदार विदाई गीत गा रहे थे।
लेकिन शिवाय और श्लोका के कानों में बस वही गूंज रहा था…
उनकी बेटी की कदमों की आहट…जो धीरे-धीरे इस आंगन से दूर जा रही थी।
जारी है...
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