डोर धड़कन से बंधी | भाग 60 | Dhadkan Season 2 – Door Dhadkan Se Bandhi Part 60 | Hindi Romantic Story
सोफे पर बैठे दोनों के बीच की दूरी अब पूरी तरह मिट चुकी थी। कमरे की हल्की रौशनी में उनका नया सफर जैसे शुरू हो चुका था।
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पगफेरे की रस्म तो दुल्हन को करनी होती है, लेकिन तुम तो उसके पूरे ससुराल वालों को बुला लाए। आदर्श हंसते हुए कहते हैं।
हां, क्योंकि तुम्हारे पग बहुत शुभ हैं। शिवाय भी हंसते हुए कहते हैं।
आज सारा परिवार साथ है बहुत अच्छा लग रहा है। सुधीर जी मुस्कुरा कर कहते हैं।
डिनर के बाद सारे लोग साथ बैठे बातें करते रहे।
अंकल आप ने यह अच्छा फैसला किया कि दोनों बच्चों को उनकी ज़िम्मेदारी बांट दी। आदर्श खुशी से कहते हैं।
मां-बाप अगर वक्त रहते सही फैसला कर लें तो घर बना रहता है। वरना फिर बाद में बुराइयां और लड़ाई लगी रहती है।
मैंने ओबेरॉय मेंशन को शिवाय और अमोल को आधा-आधा दे दिया। और बाकी जायदाद को तीनों बच्चों में बराबर बांट दिया। आज अमोल और शिवाय का अपना अलग बिज़नेस है। जिस को यह दोनों बहुत अच्छे से संभाल रहे हैं।
मैं और ममता कभी शिवाय के तरफ तो कभी अमोल की तरफ रहते हैं। हमारा रुम दोनों तरफ है। सुधीर जी खुशी से कहते हैं।
मैं भी ऐसा ही करुंगा। बच्चों की शादियां करके उनको उन की ज़िम्मेदारी सौंप दूंगा। और फिर मैं और मुग्धा सुकून से रहेंगे। आदर्श मुग्धा को देख कर कहते हैं।
सारी ज़िन्दगी तो हम घर परिवार बच्चे और कारोबार में लगा देते हैं। और जब सुकून चाहते हैं तो घर में अलग कहानी शुरू हो जाती है।
कोई सास बनकर अपना रौब दिखाता है तो कोई बहू बनकर अपना हुक्म चलाता है। और फिर इसी किच-किच में बची-खुची ज़िन्दगी गुज़र जाती है।
शिवाय बहुत सुकून से कहते हैं।
भाई आप तो खुशनसीब हैं जो श्लोका भाभी जैसी बीवी मिली। अराध्या प्यार से श्लोका को देख कर कहती है।
इन के मुहब्बत की क्या बात करती हो अराध्या…इन की मुहब्बत तो एक मिसाल है। ऐसी मुहब्बत सदियों में एक मिल जाती हैं। आदर्श प्यार से कहते हैं।
क्यों प्रेम बेटा… बहुत खामोश बैठे हो, सब ठीक है ना? अचानक से आदर्श की नज़र प्रेम पर उठती है। जो खामोशी से बैठा हुआ था। काजल भी वहीं पास में बैठी हुई थी।
जी अंकल, आप लोगों की बातें सुन रहा था, इस लिए खामोश था। प्रेम जल्दी से कहता है। जब कि उस के मन में काजल की कही बात चल रही थी। जो वह आज डैड से कहने वाला था।
डैड से अपनी बात कहने का सोच कर ही उसे डर लग रहा था। लेकिन फिर उसे काजल का प्यार दिख जाता है। और फिर वह अपना इरादा पक्का कर लेता। क्योंकि वह काजल को नहीं खो सकता था।
बहुत रात हो गई है अब हमें चलना चाहिए। आदर्श कहते ही उठ खड़े होते हैं।
आदर्श के कहते ही पूजा भी उठ खड़ी होती है और शिवाय के पास जाकर बैठ जाती है।
शिवाय उसे कंधे से लगा लेते हैं।
पूजा बेटा आज यहीं रुकना है तो रूक जाओ। हमारी तरफ से इजाज़त है… क्यों आरव क्या ख्याल है? आदर्श पूजा से बोल कर आरव की तरफ देखते हुए सवाल करते हैं।
जी डैड मुझे कोई प्राब्लम नहीं…आरव जल्दी से कहता है।
नहीं मैं चल रही हूं…पूजा जल्दी से उठ खड़ी होती है।
कितनी समझदार है हमारी पूजा…अराध्या हंसते हुए कहती है।
जो बेटियां मैके और ससुराल के तालमेल को समझ लें। वह हमेशा एक खुशगवार ज़िन्दगी गुज़ारती हैं।
मेरे काजल की परवरिश मेरे शिवाय और शिवाय ने की है। जिस पर कभी कोई उंगली उठाए यह सवाल ही पैदा नहीं होता। सुधीर जी फख्र से कहते हैं।
शिवाय और श्लोका मुस्कुरा कर सुधीर जी को देखते हैं। और पूजा फख्र से शिवाय और श्लोका को देखती है।
जब भी बेटी की याद आए बिला झिझक आ जाना। आदर्श शिवाय को गले लगाते हुए कहते हैं।
वह घर मेरी बेटी के ससुराल से पहले मेरे दोस्त का घर है।
और मैं अपने दोस्त के घर आधी रात को भी जा सकता हूं।
शिवाय भी आदर्श के कंधे को थपथपाते हुए कहते हैं।
और हर कोई उनकी दोस्ती देख कर मुस्कुरा देता है।
पूजा के साथ हर कोई बाहर निकल जाता है। पूजा के जाते ही हर कोई अपनी गाड़ी में बैठ जाता है। सुधीर जी और ममता जी भी अमोल के साथ उसके पोर्शन में चले जाते हैं।
अंदर जाकर शिवाय और श्लोका भी ऊपर रूम में जाने के लिए आगे बढ़ते हैं।
डैड…
हूं…प्रेम की आवाज़ पर शिवाय और श्लोका के कदम रुक जाते हैं।
डैड कुछ बात करना था। प्रेम शिवाय के सामने आकर कहता है।
हां बोलो बेटा क्या बात है? अगर बहुत ज़रूरी ना हो तो कल बात कर लें। बहुत रात हो गई है। श्लोका जल्दी से कहती है।
वह जानती थी कि शिवाय थक गए होंगे। उसे शिवाय का ख्याल था।
प्रेम काजल की तरफ देखता है।
अभी बात कर लेते हैं डैड…प्रेम जल्दी से कहता है।
ठीक है बोलो…शिवाय उस के चेहरे को देखने लगते हैं जिस पर घबराहट साफ नज़र आ रही थी।
तुम जो बात कहने जा रहा हो, उसको कहने के लिए जब तुम घबरा रहे हो तो मतलब जो बात तुम कहने जा रहे हो, उसको सिर्फ अल्फाज़ तुम दोगे। शिवाय मन ही मन सोचते हैं। और उसकी बात सुनने के लिए खुद को तैयार कर लेते हैं।
श्लोका ने भी मामले की नज़ाकत को समझ लिया था। वह समझ चुकी थी कि बात कुछ बहुत खास है।
डैड आप मेरे हिस्से का सब कुछ काजल के नाम कर दें।
प्रेम उनकी नज़रों को अपने चेहरे पर महसूस करते हुए जल्दी से कहता है।
जारी है…
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